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भीलवाड़ा

Cotton yarn In BHilwara: कपास में रिकॉर्ड तेजी से उछले यार्न के भाव

कस्टम ड्यटी समाप्त करे तो उद्योगों को मिले राहत

भीलवाड़ाJan 22, 2022 / 11:22 am

Suresh Jain

Cotton yarn In BHilwara: कपास में रिकॉर्ड तेजी से उछले यार्न के भाव

Cotton yarn In BHilwara: कपास में रिकॉर्ड तेजी से उछले यार्न के भाव

Cotton yarn In BHilwara: भीलवाड़ा . सफेद सोना यानी कपास की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी ने देशभर में किसानों के चेहरे खिला दिए। राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश की प्रमुख मंडियों में कपास के भाव में जबरदस्त उछाल आया है। कपास में लगातार तेजी से कॉटन यार्न के भाव भी लगातार बढ़ रहे हैं। कॉटन यार्न के फाइन काउंट में तेजी का असर कपड़ा निर्यात पर पड़ रहा है। निर्यात उद्योग में कॉटन यार्न की बम्पर मांग है। मांग अधिक व आपूर्ति कम होने के कारण धागे के भाव लगातार बढ़ रहे हैं। घरेलू स्तर पर स्पिनिंग मिलों व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती मांग से भावों में तेजी है।
केंद्र सरकार ने कपास का समर्थन मूल्य 5726 से 6025 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है। सरकार की ओर से भारतीय कपास निगम एमएसपी पर खरीद करता है, लेकिन खुले बाजार में व्यापारी इससे कहीं अधिक दाम देकर कपास खरीद रहे हैं। वर्तमान में ७० से ७७ हजार रुपए प्रति कैण्डी (एक कैंडी में ३५५.६२० किलोग्राम) के भाव बोले जा रहे है।
चार-पांच दिन में चढ़े सात प्रतिशत भाव
यार्न कारोबारी जेके बागडोदिया का कहना है कि कॉटन यार्न की मांग निर्यात उद्योगों में चल रही है। आपूर्ति कम है। यही कारण है कि पिछले ५ से ७ दिन में धागे के दाम 7 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। इसका मुख्य कारण रॉ मेटेरियल में तेजी आना है। कॉटन की तेजी से यार्न में तेजी दर्ज की गई है। कॉटन धागे भी तीन से चार रुपए किलो तेज चल रहे हैं।
130 लाख हैक्टेयर में खेती
गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, राजस्थान, पंजाब व हरियाणा में 130.07 लाख हैक्टेयर में कपास की खेती हुई। उत्पादन 353.84 लाख गांठ (अनंतिम) रहा। मौजूदा विपणन वर्ष में यह 362.18 लाख गांठ रहने का अनुमान है। स्थानीय कीमतों में तेजी भारत से कपास निर्यात को प्रभावित कर सकती है। भारतीय कपास के प्रमुख आयातकों में बांग्लादेश, चीन व वियतनाम हैं, जो यहां दाम बढऩे पर अमरीका, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की ओर रुख कर सकते हैं।
ये मिले कर रही उत्पादन
उद्यमी जेसी लढ्ढा ने बताया कि भीलवाड़ा की नितिन स्पिनर्स, कंचन, संगम, आरएसडब्ल्यूएम, सुदिवा तथा लग्नम उद्योग कॉटन यार्न का उत्पादन कर रही है। पहले इन मिलों को ५५ हजार रुपए में एक कैंडी कपास मिल रहा था। वह अब ७७ हजार रुपए में मिल रही है। विशेष यार्न बनाने के लिए इजिप्ट से कॉटन का आयात करना पड़ता है। इस पर करीब १० प्रतिशत कस्टम ड्यूटी लगी होने से भी उद्योगों को पर असर पड़ रहा है।
२२०० करोड़ का यार्न निर्यात
भीलवाड़ा की ईकाइयां करीब एक से सवा लाख टन प्रतिवर्ष कॉटन यार्न का निर्यात करती है। इनमें लगभग २ लाख टन प्रति वर्ष का कॉटन यार्न उत्पादन होता है। उसमें ५० से ६० प्रतिशत यार्न निर्यात होता है। इसकी कीमत २२०० करोड़ से अधिक है।
कस्टम ड्यटी को करें समाप्त
देश में कॉटन के दामों में तेजी आने से यार्न पर भी असर पड़ा है। विदेशों से आयात कपास पर १० फीसदी कस्टम ड्यटी है। तेजी से बढ़ते काम को देखते हुए केन्द्र सरकार को फिलहाल कुछ समय के लिए कस्टम ड्यूटी को स्थगित या समाप्त कर देना चाहिए। इसके लिए टेक्सटाइल मंत्रालय को पत्र भी लिखा है।
आरके जैन, महासचिव मेवाड़ चेम्बर

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