दक्षिण भारत के तटीय इलाके में तबाही मचाने वाले ओखी चक्रवात के चलते वस्त्रनगरी में भी दिसम्बर के पहले सप्ताह में ही सर्दी सितम ढहाने लगी है। इससे जीना मुहाल हो गया है। तीसरे दिन भी सूर्य बादलों की कैद में रहा।
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दिनभर बूंदाबांदी और सर्द हवाओं से धूजणी छूटती रही। रूक-रूक कर बारिश होने से इस सीजन का सबसे कम ठण्डा दिन रहा है। सर्दी ने जनजीवन को खास प्रभावित किया है। सुबह धुंध का असर देखा गया।
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सर्दी के कहर के कारण गलन से दिन में कमरे में बैठना मुश्किल हो रहा। इसी के चलते कई दफ्तरों और घरों में हीटर जलाने पड़े। सड़क किनारे लोग अलाव जलाकर राहत लेने के जतन में लगे रहे। ऊनी कपड़े भी सर्दी का असर नहीं रोक पा रहे है। हवा चलने और बादलों से ठण्डक का अहसास रहा। इससे गलन बढ़ गई। घरों और दफ्तर में हीटर जलाने पड़े। मौसम का मिजाज देखकर लोग सिर से लेकर पैर तक ऊनी कपड़ों में लिपटे रहे।
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सर्दी और उसके ऊपर बारिश के कारण बच्चों का सुबह जल्दी उठकर स्कूल पहुंचना ही किसी परीक्षा देने से कम नहीं हो रहा। बसों और टेम्पो में यात्रा करने वाले बच्चों की तो हालत और खराब है। ऊनी कपड़ों से ढके होने के बावजूद बच्चे धूजते ही स्कूल पहुंच रहे है। छोटे बच्चों का तो ओर भी हाल खराब है।
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सर्दी और उसके ऊपर बारिश के कारण बच्चों का सुबह जल्दी उठकर स्कूल पहुंचना ही किसी परीक्षा देने से कम नहीं हो रहा। बसों और टेम्पो में यात्रा करने वाले बच्चों की तो हालत और खराब है। ऊनी कपड़ों से ढके होने के बावजूद बच्चे धूजते ही स्कूल पहुंच रहे है। छोटे बच्चों का तो ओर भी हाल खराब है। अभिभावकों के लिए भी जल्छी उठकर बच्चों को तैयार करना मुश्किल हो रहा।