लगातार बन रहे पश्चिमी विक्षोभ के कारण दिन में भले ही धूप निकल रही। शाम ढलते-ढलते ठंडी हवा और आंधी-तूफान जैसा मौसम ने तापमापी के पारे को चढ़ने ही नहीं दिया। इससे रात को सर्दी का अहसास बना हुआ है। मौसम के बदलाव का असर स्वास्थ्य पर भी पड़ा है। महात्मा गांधी अस्पताल के आउटडोर में वायरल बुखार के मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। कूलर व्यापारी राजेश सिंधी ने बताया कि अमूमन मई माह में कूलर और एसी की बम्पर बिक्री होती है। इस समय पारा चढ़ने के साथ गर्मी भी पीक पर आ जाती है। अप्रेल के दूसरे सप्ताह तापमान बढ़ने पर कूलरों की बिक्री हुई थी। उसके बाद लगातार बदलाव के कारण ठंडा मौसम होने से बिक्री धीमी हो गई। पिछले एक सप्ताह से तो एक भी कूलर नहीं बिका। गत वर्ष की तुलना की जाए तो इस समय तक करीब पचास प्रतिशत ही बिक्री हुई है। एसी की खरीदारी का भी यहीं हाल रहा। इससे व्यापारियों को झटका लग रहा है। कई व्यापारियों ने थोक में कूलर व एसी मंगवा लिए, लेकिन वह गोदाम में ही धूल फांक रहे हैं। देशी फ्रीज के नाम प्रसिद्ध मटकी बाजार भी इस समय मौसम के अनुसार ठंडा है।
खेती के लिए उपयोगी बारिश
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार अप्रेल-मई में बारिश के कारण खाली पड़े खेतों में नमी हो जाएगी। इससे गर्मी में खेतों की गहरी जुताई हो जाएगी तो खरपतवार व हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाएंगे। यदि ओले गिरते हैं तो सब्जी की फसल को नुकसान हो सकता है। बारिश से किसी प्रकार का नुकसान नहीं है। ज्वार, मूंग की बुवाई भी की जा सकती है।