मिश्रित धागा का भी उत्पादन
भीलवाड़ा की मिलों में रिसर्च एवं डेवलपमेंट के माध्यम से मिश्रित यार्न भी बना रहे है। यहां केला, हेप (गांजे का पौधा), समुद्र के किनारे पाए जाने वाले पौधे, इकोवेरा और एल्गी के पौधे को रॉ मटेरियल धागा बनाने में इस्तेमाल कर रहे हैं। मिश्रित यार्न निर्यात किया जाता है। यह मिश्रित धागा फैशन गारमेंट में इस्तेमाल होता है। इसकी कीमत भी अच्छी मिल रही है।
इन देशों में हो रहा निर्यात
धागे की चीन, बांग्लादेश, पौलेंड, टर्की, ब्राजील, जर्मनी, इजिप्ट, कॉलबिया, मैक्सिको, चिली, श्रीलंका आदि देश में मांग है। इन देशों की मांग पूरी करने के लिए यहां की मशीनें कभी नहीं रुकती। लगातार 24 घंटे धागा तैयार होता है। कपास या पॉलीस्टर फाइबर से 20 से लेकर 60 विभिन्न काउंट का धागा बनता है। भीलवाड़ा से प्रतिदिन 10 से 12 कंटेनर निटिंग धागा विदेश भेजा जा रहा है।12.25 लाख स्पिंडल भीलवाड़ा में
राजस्थान में 38 स्पिनिंग मिले है। इनमें से 18 भीलवाड़ा जिले में है। राज्य में 22.76 लाख स्पिंडल में से 55 प्रतिशत यानी 12.25 लाख स्पिंडल यहां चल रही है। राज्य के उत्पादन का 63 प्रतिशत धागा भीलवाड़ा में बनता है।यहां आधुनिक तकनीक की मशीनें
स्पिनिंग उद्योगों में अत्याधुनिक मशीनें लगी हैं। ऑटोमेटिक मशीनों से ही विश्व स्तरीय एक्सपोर्ट क्वालिटी का धागा बनता है। धागा तैयार होने के बाद यहां लेबोरेट्री में उसकी जांच की जाती है। टेस्टिंग में खरा उतरने के बाद ही धागा निर्यात होता है। – आरके जैन, महासचिव मेवाड़ चैबर ऑफ कामर्सफैक्ट फाइल…
18 स्पिनिंग इकाइयां 12.25 लाख स्पिंडल 4.50 लाख टन यार्न 60 प्रतिशत यार्न का निर्यात 7 हजार करोड़ का निर्यातनिटिंग धागे का बांग्लादेश में निर्यात
भीलवाड़ा में निटिंग धागे का उत्पादन बड़ी मात्रा में होने लगा है। धागे में ट्विस्ट कम होते हैं। यहां का मोटा धागा 6, 8, 9 काउंट में जा रहा है। यह धागा बांग्लादेश में रेडिमेड गारमेंट के लिए काम में लिया जा रहा है। इससे जींस, टी-शर्ट के अलावा अन्य उत्पाद के लिए काम में लिया जा रहा है।