भीलवाड़ा। भीलवाड़ा की टेक्सटाइल मंडी कोरोना संक्रमण से संकट में फंस गई है। देश-विदेश में पहचान बना चुकी वस्त्रनगरी में ३५० से अधिक विविंग इकाइयां हैं। इनसे प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से १.५० लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। वर्तमान में काम बन्द पड़ा है। इनमें प्रतिमाह 8 करोड़ मीटर से अधिक सूती कपड़े का उत्पादन हो रहा है, जो ७० से अधिक देशों में जाता है। इससे २० हजार करोड़ रुपए विदेशी मुद्रा व विभिन्न कर के माध्यम से राशि सरकार को मिल रही है। टेक्सटाइल का निर्यात प्रमुख रूप से अमरीका व यूरोपीय संघ में होता है। सिंथेटिक्स एवं वीविंग मिल्स एसोसिएशन अध्यक्ष संजय पेड़ीवाल ने बताया कि निर्यात आर्डर निरस्त हो चुके हैं। शादियां व अन्य सामाजिक कार्यक्रम निरस्त हो चुके हैं। स्कूल ड्रेस का सीजन भी प्रभावित हुआ है। कपड़ा बाजार तथा टेक्सटाइल उद्योग तभी चल सकेंगे, जब पूरी दुनिया से लॉकडाउन हटेगा। सचिव रमेश अग्रवाल ने बताया कि इस मामले को लेकर केन्द्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र लिख सुझाव दिए हैं। मजदूरों को पूरा भुगतान देना तभी संभव होगा, जब सरकारी मदद मिलेगी। उद्योगों को पूरी मजदूरी का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो बहुत सी इकाइयां बंद हो जाएंगी। अलग-अलग राज्य सरकारों ने भी कर्मचारियों को 30-40 प्रतिशत वेतन देकर बाकी स्थगित कर दिया है। उद्योग करीब डेढ़ महीने से उत्पादन बंद है। ईएसआइसी नियमों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति छुट्टी पर है तो वह ईएसआइसी फंड से मुआवजा पाने के लिए पात्र है। सरकार को इस फंड से श्रमिकों को भुगतान की व्यवस्था करनी चाहिए। ये हैं मांगें – एक साल तक ईएमआइ स्थगति करने और बिजली की दरों में छूट। – सरकार ने तीन महीने तक नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के ईपीएफ अंशदान का भुगतान करने की घोषणा की है। 90 प्रतिशत कर्मचारी का वेतन 15 हजार से कम है, इसलिए वे इस श्रेणी में नहीं आएंगे। यह बाध्यता खत्म हो। – रुकी सब्सिडी जारी हो। एक साल तक ईएमआई स्थगित कर, 3 से 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान मिले। -आरबीआइ ने रेपो और रिवर्स रेपो दर 4.4 और 3.75 प्रतिशत तक कम किया, इसका लाभ उद्योगों को मिले। – एनपीए और एसएमए के मानदंडों में एक साल की छूट मिले। बिजली बिलों में फिक्स्ड चार्ज और न्यूनतम शुल्क को माफ हो। साल के लिए बिजली दरें कम की जाएं। – बीमा कंपनियों को बिना किसी बाधा के मौजूदा नियमों का नवीनीकरण करना चाहिए। बीमा पॉलिसियों पर जोखिम प्रीमियम पिछले वर्ष बहुत ज्यादा बढ़ा दी थी इसलिए पहले की तर्ज पर लागू किया जाए।