पूर्वांचल क्षेत्र के परिवार सुबह पांच बजे से जलाशयों पर पहुंचने लगे थे। बच्चे आतिशबाजी करने में व्यस्त थे। महिलाओं ने पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की और उगते सूर्य को अर्ध्य देकर परिवार में सुख शांति व समृद्धि की कामना की। महिलाओं ने अपने खास लिबास और परंपरा का निर्वहन करते हुए मांग से नाक तक सिंदूर लगाकर सूप में पूजन सामग्री लेकर सूरज को अर्ध्य दिया। उसके बाद व्रती महिला ने अन्य महिलाओं को सिंदूर लगाया। पूजा में शामिल प्रसादी से उनकी गोद भराई की गई। यह रस्म शादीशुदा महिलाओं के लिए हुई। व्रती महिलओं ने उनको तिलक लगाकर प्रसादी आंचल में दी। जलाशयों पर जमकर आतिशबाजी हुई।