गंगापुर थाना क्षेत्र के बलाई खेड़ा में दूषित हलवा खाने से अचेत चल रही राधा पत्नी सज्जनसिंह ने आखिरकार छह दिन बाद बुधवार को दम तोड़ दिया। महात्मा गांधी अस्पताल में जिंदगी से संघर्ष कर रही राधा की हालत बिगडऩे पर उसे उदयपुर रैफर किया गया था। रास्ते में उसकी मौत हो गई। शव को गंगापुर स्थित मोर्चरी में रखवाया गया। इसी के साथ बलाई खेड़ा में दूषित हलवे मृतक संख्या छह पहुंच गई है। मृतका के दो बच्चों समेत पांच जनों की पूर्व में मौत हो चुकी है।
READ: किराणा व्यापारी को रास्ते में रोककर पीटा, नकदी व मोबाइल छीनकर भागे लुटेरे थानाप्रभारी बंशीलाल के अनुसार गत ९ फरवरी को बलाई खेड़ा निवासी मोहनदान चारण के घर विषाक्त भोजन से कुल आठ जनें गंभीर रूप से बीमार हो गए थे। इनमें मोहनदान के दो पौते पौती व तीन रिश्तेदारों की उसी दिन मौत हो गई थी। परिवार समेत मेहमानों के लिए गत शुक्रवार शाम को भोजन में हलवा, रोटी व आलू की सब्जी बनाई गई थी। जिसे खाने के बाद केसर, मनूर, लक्ष्मी, सज्जनदान, राधा, शक्तिदान, रूकमणी व गोपी चारण की हालत बिगड़ गई।
READ: शिव दर्शन के लिए लगी कतारें, मेले दिखी ग्रामीण जनजीवन की झलक जिन्हें गंगापुर चिकित्सालय लाया गया। जहां चिकित्सकों ने मनूर को मृतक घोषित कर दिया व अन्य सभी को भीलवाड़ा रेफर कर दिया। जहां केसर, शक्तिदान, रूकमणी व गोपी चारण की भी उपचार के दौरान मौत हो गई थी। वहीं मोहन की पत्नी लक्ष्मी, पुत्र सज्जन व पुत्रवधू राधा को एमजीएच के गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती कराया गया था। वहां राधा की हालत गम्भीर बनी हुई थी। राधा को बुधवार शाम को उदयपुर रैफर किया गया था। उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया था।
टोल कर्मचारी की संदिग्ध हालात में मौत रायला क्षेत्र के लाम्बियाकलां टोलनाके पर कार्यरत कर्मचारी की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। रायला थाना पुलिस ने पोस्टमार्टम करवा कर शव परिजनों के सुपुर्द किया। पुलिस के अनुसार टोंक निवासी जयसिंह बैरवा (32) मंगलवार देर रात टोल काम खत्म करके वहां बने किराए के मकान में पहुंचा। बुधवार तड़के साढ़े पांच बजे नहाने के लिए बाथरूम में गया। काफी देर तक बाहर नहीं आया तो उसके साथ रह रहा नरेन्द्र कुमार बाथरूम में गया। वहां जयसिंह मृत हालत में मिला। उसने टोल में कार्यरत अन्य लोगों को इसकी जानकारी दी। सूचना पर पुलिस भी वहां पहुंच गई। शव को रायला स्थित मोर्चरी में रखवाया और उसके परिजनों को सूचना दी गई। प्रथमदृष्टया हृदयघात मौत का कारण माना जा रहा है।