ये विचार ठाकुर श्री दूधाधारी गोपालजी महाराज का नूतन महल प्रवेश महोत्सव के तहत नूतन महल प्रवेश महोत्सव समिति के तत्वावधान में अग्रवाल उत्सव भवन में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन गुरूवार को व्यास पीठ से श्री निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर श्री श्यामशरण देवाचार्यश्री ‘श्रीजी’ महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि परम पावन भीलवाड़ा नगरी में हो रहे भगवान श्रीकृष्ण की कथा के इस आयोजन में शामिल होकर हम अपना जीवन धन्य कर सकते है। भक्ति, ज्ञान व वैराग्य की पुष्टि के लिए श्रीमद् भागवत श्रवण जरूरी है। भगवान को भक्ति बहुत प्रिय है ओर जो भक्ति का दामन पकड़ लेता है वे सीधे भगवान के समीप पहुंच जाता है। जब कोई पतित, दुष्ट, अनाचारी भी श्रीमद् भागवत का आश्रय ले तो उसका कल्याण हो जाता है ऐसे कई उदाहरण हमे मिल जाएंगे। श्रीजी महाराज ने नित्य निरन्तर भगवान व प्राणीमात्र की सेवा करने का संदेश देते हुए कहा कि अपने कल्याण के लिए श्रीमद् भागवत व भगवान की सुंदर कथाओं का श्रवण अवश्य करना चाहिए। सात दिन में जीव का कल्याण कैसे हो ये श्रीमद् भागवत बताता है। कथा के तहत राजा परीक्षित के जन्मोत्सव, परीक्षित को सर्पदंश से मृत्यु का श्राप मिलने, श्रीशुकदेव के जन्म, राजा परीक्षित के मोक्ष हेतु शुकदेव द्वारा भागवत कथा प्रारंभ करने से जुड़े प्रसंग भी बताए गए।
अंदर भागवत रस की वर्षा, बाहर आनंद वृष्टि
श्रीमद् भागवत कथा का वाचन शुरू करते ही वर्षा शुरू होने पर उन्होंने कहा कि ये सुअवसर है कि पांडाल में भागवत रस की वर्षा हो रही है और भगवान के प्रसन्न होने से बाहर इन्द्र द्वारा आंनद वृष्टि के रूप में मेघ वर्षा हो रही है। हमारे गोपालजी महाराज राजी होते है तब मेघ वर्षा करते है। आयोजन समिति द्वारा वर्षा से बचाव के लिए वाटरप्रूफ पांडाल तैयार करने से श्रद्धालुओं के समक्ष किसी तरह की परेशानी नहीं आई और बाहर बारिश के दौरान भी भक्तगण भागवत रस की वर्षा में डूबकियां लगाते रहे।
वृन्दावन से आए कलाकारों की रासलीला ने मोहा मन
ठाकुर श्री दूधाधारी गोपालजी महाराज का नूतन महल प्रवेश महोत्सव के तहत श्रीदूधाधारी गोपाल मंदिर परिसर में बुधवार रात से रासलीला महोत्सव का भी आगाज हुआ। प्रतिदिन रात 8 से 10 बजे तक होने वाले इस महोत्सव में वृन्दावन के श्रीराधा सर्वेश्वर लीला संस्थान के कलाकारों द्वारा रासलीला की प्रस्तुति दी जा रही है। पहले दिन शुरू के आधे घंटे महारास की प्रस्तुति के बाद भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ी विभिन्न लीलाओं की प्रस्तुति दी गई। पहले दिन गोपियों द्वारा आरती कर राधा-कृष्ण को रास करने के लिए आमंत्रित किया गया। इसके बाद रास की सुंदर प्रस्तुति ने भक्तों का मन जीत लिया। इस दौरान मयूर नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति से माहौल भक्ति रस से सराबोर हो गया। कृष्ण लीला के तहत भगवान कृष्ण से जुड़े प्रसंग बताए गए। इसके तहत कंस द्वारा अपनी बहन देवकी के गर्भ से उसके काल की उत्पति होने की आकाशवाणी के बाद बहन देवकी व बहनोई वासुदेव को कारागृह में डाल देने के प्रसंग से जुड़ी लीला की प्रस्तुति दी गई। संस्थान के सौरभ द्विवेदी ने बताया कि रास लीला की प्रस्तुति स्वामी शिवदयाल गिरिराज के नेतृत्व में वृन्दावन से आए 25 कलाकारों के दल द्वारा दी गई। इस दौरान राधा, देवकी जैसे महिला पात्रों के रूप में भी पुरूष कलाकारों ने ही प्रस्तुति दी।
मूल भागवत का पाठ व पंचकुण्डीय यज्ञ जारी
आयोजन के तहत श्री दूधाधारी मंदिर में 108 पंडितों द्वारा अष्टोत्तर शत श्रीमद भागवत मूल पाठ एवं पंचकुण्डीय यज्ञ अनुष्ठान दूसरे दिन गुरूवार को भी जारी रहा। प्रतिदिन सुबह 8 से दोपहर 1 बजे तक 108 पंडितों द्वारा अष्टोत्तर शत श्रीमद भागवत मूल पाठ किया जा रहा है। पाठ शुरू करने से पहले 108 जोड़ो द्वारा मूल भागवत की पूजा की गई। वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य यज्ञ अनुष्ठान में आहूति देेने वालों में भी नगर परिषद सभापति राकेश पाठक सहित शहर के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे कई श्रद्धालु शामिल थे।