भीलवाड़ा

24 घण्टे पहरेदारी, फिर कैसे चढ़ा टावर पर!

युवक के टावर पर चढऩे की घटना ने बीएसएनएल परिसर के सुरक्षा प्रबंध पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया

भीलवाड़ाJan 23, 2018 / 12:58 pm

tej narayan

युवक के टावर पर चढऩे की घटना ने बीएसएनएल परिसर के सुरक्षा प्रबंध पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया। जिस परिसर में टावर लगा है, वह बीएसएनएल का जिले का सबसे बड़ा कार्यालय है।

भीलवाड़ा।
युवक के टावर पर चढऩे की घटना ने बीएसएनएल परिसर के सुरक्षा प्रबंध पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया। जिस परिसर में टावर लगा है, वह बीएसएनएल का जिले का सबसे बड़ा कार्यालय है। यहां महाप्रबंधक स्तर के अधिकारी बैठते हैं। कार्यालय परिसर की चौबीस घण्टे चौकीदारी रहती है। निजी सुरक्षा एजेन्सी को इसका ठेका दे रखा है। इसके बावजूद उपेन्द्र तड़के पांच बजे सुरक्षा को भेदते हुए अंदर घुस गया। इसका चौकीदारों को पता तक नहीं लगा। सुबह दफ्तर पहुंचे महाप्रबंधक आर के मालपानी से बात की तो उनको जवाब देते नहीं बना। उन्होंने महज जांच कराने की बात कहकर चल दिए।
 

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बीएसएनएल ने मुख्य टावर की सीढि़यों को हटा भी रखा था। फिर भी वह 15 फीट एंगल पर चढ़ गया। पुलिस का मानना है कि उसके साथ दो-तीन युवक गए थे। अकेले उस पर चढऩा सम्भव नहीं था। करीब नौ बजे पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी वहां पहुंचे। लेकिन युवक के मोबाइल नम्बर नहीं होने से उससे वार्ता नहीं हो सकी। सवा दस बजे करणी सेना कार्यकर्ताओं ने उसके मोबाइल नम्बर दिए। बातचीत के लिए पुलिस ने युवक के परिजनों को बुलाया। उसके मामा और भाई वहां पहुंचे। परिजनों से उपेन्द्र की बात करवाई गई।
 

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टावर पर चढऩे से पहले उपेन्द्र ने पूरी तैयारी की। वह अपने साथ बैग में पानी की बोतलें, खाद्य सामग्री और मोबाइल की एक बैट्री अलग ले गया। साढ़े तीन सौ फीट ऊंचे टावर से नीचे उतरने में उपेन्द्र को महज पांच से सात मिनट लगे। नीचे आते ही लोगों ने उसे कंधे पर उठा लिया।

सड़क पर प्रदर्शन, मेले जैसा माहौल
कार्यालय के बाहर राजपूत समाज के बड़ी संख्या में लोगों के जमा हो जाने और मुख्य मार्ग पर प्रदर्शन करने से वहां जाम लग गया। वाहनों की लम्बी कतार लग गई। टावर पर चढ़े युवक को देखने के लिए लोगों में कौतूहल रहा। वाहन चालक रूककर टावर की ओर देखते रहे।

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