पंजाब के राज्यपाल वीपीसिंह ने की आचार्य से अलग कक्ष में चर्चा
राजनीति में भी अहिंसामय नीति होना चाहिएआचार्य महाश्रमण ने मंगल प्रवेश के बाद कहा
पंजाब के राज्यपाल वीपीसिंह ने की आचार्य से अलग कक्ष में चर्चा
भीलवाड़ा।
आचार्य महाश्रमण रविवार को चित्तौड रोड स्थित तेरापंथ नगर से आदित्य विहार में चातुर्मास के लिए मंगल प्रवेश किया।
मंगल प्रवेश के बाद आचार्य महाश्रमण ने कहा कि आज समाज, राजनीति में भी अहिंसामय नीति होनी चाहिए। लोकतंत्र हो या राजतंत्र दोनों जनता की भलाई के लिए होते हैं। किसी भी समस्या का समाधान हिंसा से नहीं हो सकता। अहिंसा, प्रेम-मैत्री से भी समस्या सुलझाई जा सकती है। राजनीति बहुत महत्वपूर्ण सेवा का साधन है अगर राजनेता सेवाभाव से सेवा करें तो पिडि़त व्यक्ति को न्याय मिल सकता है। राजनेताओं को सत्ता सुख भोगने के लिए नहीं बल्कि जनता की सेवा करने के लिए है। राजनीति में आकर राजनेता जनता की सेवा न करें तो फिर राजनीति में आना बेकार है। आचार्य महाश्रमण ने राजनेताओं को सेवा का पाठ पढ़ाने के दौरान संस्कृत में श्लोक का वाचन भी किया। उन्होंने कहा कि भारत देश में धर्मनिरपेक्षता ही नहीं पंथनिरपेक्षता भी है। सबको अपनी रुचि अनुसार धर्म करने की छूट है। भारत एक आजाद देश है, आजादी के साथ संयम, अनुशासन का होना बहुत जरूरी है। लोकतंत्र में अगर कर्तव्यनिष्ठा, अनुशासन नहीं तो देश का विकास नहीं हो सकता। साथ ही सत्ता में निस्वार्थ सेवा रूपी तप भी होना चाहिए। अहिंसा, संयम और तप रूपी धर्म जीवन में आ जाए तो व्यक्ति अपना जीवन सार्थक कर सकता है। प्रवचन के बाद पंजाव के राज्य पाल वीपीसिंह बदनोर ने आचार्य महाश्रमण से उनके कक्ष में १० मिनट तक चर्चा की।
साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने कहा कि आचार्य एक महान यात्रा, विजय यात्रा कर यहां पधारे हैं। मेवाड़ के श्रावकों में विशिष्ट भक्ति है। चातुर्मास में सभी लक्ष्य बनाएं कि हमें गुरुवर की वाणी को आत्मसात कर जीवन में अपनाना है। यह सिर्फ भीलवाड़ा का ही नहीं पूरे मेवाड़ का चतुर्मास है।
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