स्मार्ट फोन एवं सोशल मीडिया के जमाने में बालिकाओं की सुरक्षा पर खतरा बढ़ रहा है। खतरा अब कई नए रूप में सामने आ रहा है। इनमें से ही एक रूप बच्चियों के साथ छूकर गलत व्यवहार करना है, जिसे बैड टच भी कहा जाता है। शहरों में इस तरह की घटनाएं बढ़ रही है, लेकिन कई बार मासूम समझ के अभाव में उसे बयां नहीं कर पाती है और दुव्र्यवहार का समय पर पता नहीं चलता।
READ: स्मार्ट जमाने के नए खतरे, अनजाने कैमरों में कैद हो रही हमारी बेटियां समाजशास्त्रियों की नजर में वात्सल्य भाव से मां का छूना एवं मन में विकार रख छूने दोनों में बहुत अंतर है एवं बालिकाओं को इसका अहसास भी हो जाता है। कई बार बेटियां बोलकर इस बारे में नहीं बता पाती है तो उसकी मनोदशा से अनुमान लगाना होगा।
यहां बढ़ रहा खतरा
वर्तमान में कई ऑटोरिक्शा एवं साईकिल रिक्शा में भी बालिकाओं को चालक सीट पर बिठा लिया जाता है। शहर में स्कूलों में सुबह प्रवेश एवं दोपहर में अवकाश के दौरान इस तरह के नजारे दिखते है। इस दौरान कई बार गलत तरीके से छूने की बात सामने आती है, लेकिन सामाजिक बदनामी के डर से उस बात को वहीं दबाने का प्रयास रहता है। स्कूलों में भी पुरूष स्टाफ द्वारा बच्चियों के साथ गलत तरीके से शारीरिक व्यवहार करने का खतरा रहता है। एेसे में उसके प्रति भी अभिभावकों को सजगता रखनी होगी।
अभिभावकों खासकर मां को अपने बच्चों से एक मित्र की तरह व्यवहार रखना होगा। तब जाकर बच्चे उससे दिल की बात शेयर कर पाएंगे।
बच्चियों की समझाइश का काम
बैड टच के मामले भी कुछ सामने आए है, हालांकि वे अधिकतर रजिस्टर्ड नहीं किए जाते है। बच्चियों को स्कूलों में जाकर समझाइश करने का भी काम कर रहे हैं। बच्चियां हो या युवतियां सभी को इस खतरे के प्रति सावधान रहना होगा।
सुमत्र त्रिवेदी, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति,भीलवाड़ा