आलम यह है कि हर प्रसूता के पास खुद का पंखा था। प्रबंधन की लापरवाही के कारण वहां भर्ती प्रसूताओं के तीमारदार को पहले बाजार से पंखा खरीदना मजबूरी है। गर्मी ने हालत बिगाड़ रखी है। जल्दी छुट्टी मिल जाए, यही प्रार्थना की जाती है। गौरतलब है कि एमसीएच में प्रसूताएं क्षमता से ज्यादा है। वार्ड छोटे हैं। उल्लेखनीय है कि 16 करोड़ रुपए खर्चकर बिल्डिंग बनाई पर वार्ड छोटे बना दिए। ऐसे में स्टॉफ और मरीज परेशान हैं। उमस से यहां लोग पसीने से तरबतर हो रहे थे।