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भीलवाड़ा यूआईटी में राजनीति, एसई माथुर एपीओ

भीलवाड़ा नगर विकास न्यास में अभियंताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई को लेकर खींचतान के बीच मंगलवार को राज्य सरकार ने अधीक्षण अभियंता संजय माथुर को एपीओ कर दिया। ढाई साल से रिक्त अधीक्षण अभियन्ता के पद पर माथुर महज तीन माह ही टिक पाए।

भीलवाड़ाJul 07, 2021 / 11:40 am

Narendra Kumar Verma

Politics in Bhilwara UIT, SE Mathur APO

भीलवाड़ा। नगर विकास न्यास में अभियंताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई को लेकर खींचतान के बीच मंगलवार को राज्य सरकार ने अधीक्षण अभियंता संजय माथुर को एपीओ कर दिया। ढाई साल से रिक्त अधीक्षण अभियन्ता के पद पर माथुर महज तीन माह ही टिक पाए। माथुर के स्थान पर सरकार ने नगर विकास न्यास से ही पदोन्नत होकर राजस्थान आवासन मंडल जोधपुर में आयुक्त पद पर गए भीलवाड़ा के करण राज जीनगर को लगाया है माथुर के एपीओ के पीछे राजनीतिक कारण माने जा रहे है।। न्यास में विशेषाधिकारी की नियुक्ति भी सिर्फ कागजी मानी जा रही है।
गत वर्ष नवम्बर में तीन बड़े अभियन्ताओं के रिश्वत लेते पकड़े जाने के बाद से नगर विकास न्यास गत सात माह से विवादों में है। जहां शहर से ६० किलोमीटर दूर करेड़ा के उपखण्ड अधिकारी महिपाल सिंह को नगर विकास न्यास के सचिव का अतिरिक्त कार्यभार सौंप रखा है। शहर के बजाय मांडल विधानसभा क्षेत्र में न्यास करोड़ों के निर्माण कार्य करवा रहा है। कलक्ट्रेट परिसर में न्यास द्वारा कराए गए निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठे हुए है।
न्यास में सब गोलमाल

पिछले साल रिश्वत लेते पकड़े गए सहायक अभियंता स्तर के तीनों अधिकारी अधीक्षण अभियंता व अधिशासी अभियंता की जिम्मेदारी संभाले हुए थे। इनकी गिरफ्तारी के बाद से अधीक्षण अभियंता पद पर नियुक्ति को लेकर न्यास के अन्य अभियंताओं में खींचतान चल रही थी, लेकिन नगरीय विकास विभाग ने बीकानेर से अधीक्षण अभियंता संजय माथुर की यहां नियुक्ति कर दी। माथुर की नियुक्ति के बाद से यहां न्यास में अभियन्ताओं में खींचतान और बढ़ गई। न्यास में उनकी स्पष्ट कार्यशैली से कईयों की मुश्किलें बढ़ गई थी।
माथुर के अधिकारों की कटौती

नगर विकास न्यास सचिव महिपाल सिंह ने पिछले दिनों एक आदेश जारी कर अधीक्षण अभियन्ता माथुर के अधिकारों में कटौती कर दी थी। न्यास में सभी प्रकार के बिल की राशि की ऑडिट कर भौतिक सत्यापन करने का अधिकार पहले अधीक्षण अभियंता को ही था, लेकिन नए आदेश जारी कर उनके पास ३० लाख से अधिक के कार्य की राशि के ही बिलों का सत्यापन करने का अधिकार दिया गया। इस नए आदेश के बाद माथुर छुट्टियों पर चले गए। इसी बीच मंगलवार को उन्हें एपीओ करने के आदेश आ गए। जानकारों के अनुसार माथुर को यहां नियुक्ति के तीन माह बाद तक आवेदन करने के बावजूद सरकारी आवास नहीं मिल सका।
जानबूझ कर निकालते कमी
न्यास में सालों से जमे पुराने अभियंताओं को नए अभियंताओं की कार्यशैली रास नहीं आने से गत माह से आपसी खींचतान अधिक बढ़ गई थी। जानकारों के अनसुार सत्ता पक्ष के एक प्रभावशाली विधायक भी माथुर की कार्यशैली से नाखुश थे। कुछ अभियंताओं व ठेकेदारों ने भी शिकायत की थी कि माथुर उनका सहयोग नहीं कर रहे। कई फाइलों में उन्होंने कमियां बता कर रोक रखी है। अधीक्षक अभियन्ता माथुर का कहना है कि उनका सदैव प्रयास रहा कि न्यास के कार्य में गुणवत्ता एवं पारदर्शिता बनी रहे। पैसे की बर्बादी ना हों, इसलिए वह प्रत्येक कार्य की समीक्षा करते हैं।

नहीं कोई विवाद, तबादला सतत प्रक्रिया

नगर विकास न्यास के कार्यवाहक सचिव महिपाल सिंह का कहना है कि नगर विकास न्यास का कार्य प्रभावित नहीं हो और लोगों की समस्याओं का समाधान त्वरित हो, ऐसे प्रयास टीम वर्क से सुनिश्चित हो रहे है। कहीं कोई विवाद नहीं है। तबादला एक सतत प्रक्रिया है।

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