कोरोना पर काबू पाने में भीलवाड़ा रॉल मॉडल बन गया है। जिस तरह यहां पॉजिटिव केस मिलते ही जिला प्रशासन ने कार्ययोजना बनाई उसकी पूरे देश में तारीफ हो रही है। यहां तक की रविवार को हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में केबिनेट सचिव राजीव गौबा ने भीलवाड़ा कलक्टर राजेंद्र भट्ट के काम की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कोरोना देश के 223 जिलों में पैर पसार चुका है। ऐसे में सबको भीलवाड़ा से कुछ सीखना चाहिए। वीसी में जिला कलक्टर राजेंद्र भट्ट ने एक प्रजेंटेशन बताया। इसमें यह जानकारी दी थी कि किस तरह कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए भीलवाड़ा प्रशासन ने काम किया। इसमें जिला कलक्टर ने बताया कि जिस बृजेश बांगड़ अस्पताल से सबसे पहले कोरोना संक्रमित रोगी मिले थे। वे डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ थे। ऐसे में कई लोगों के संपर्क में आए थे। प्रशासन ने इसकी जांच करवार्ई तो जिले के छह हजार लोग संपर्क में आए थे। इसके अलवा उस अस्पताल में चार राज्यों के तथा राजस्थान के १५ जिलों के मरीज आए थे। मतलब यदि भीलवाड़ा प्रशासन सख्ती से कदम नहीं उठाता तो यहां भी कोरोना का विस्फोट हो सकता था। साथ ही पॉजिटिव मिलते ही भीलवाड़ा में कफ्र्यू लगाने के कदम की उन्होंने सराहना की। केबिनेट सचिव ने भीलवाड़ा कलक्टर के काम को आइडियल बताया। उन्होंने वीसी में मौजूद सभी मुख्य सचिव को भीलवाड़ा से सीखने की बात कही। यही वजह है कि भीलवाड़ा में 27 कोरोना संक्रमित रोगी मिले हैं इनमें से 17 की निगेटिव रिपोर्ट आ चुकी है। वहीं 11 रोगियों को कोरोना वायरस से मुक्त कर घर भेज दिया है।
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इन सात राज्यों के थे ३६ मरीज
बांगड़ अस्पताल में हिमाचल के हमीरपुर, मध्यप्रदेश के इंदोर, नीमच, रतलाम, उत्तरप्रदेश के ईटावा, गुजरात के अहमदाबाद व सूरत से ३६ मरीज आए थे। भीलवाड़ा प्रशासन ने इनको मोबाइल पर फोन किया तथा लक्षण जानकर इनकों अस्पताल में जांच कराने की सलाह दी। साथ ही वहां के कलक्टर को फोन कर इनकों आइसोलेट करने का सुझाव दिया।
१५ जिलों के कलक्टर से किया संपर्क
सबसे पहले बांगड़ अस्पताल से कोरोना के मरीज आए थे। यहां पर अजमेर के १५३, अलवर के २, भरतपुर के एक, बूंदी के 11, चित्तौडग़ढ़ 230, हनुमानगढ़ एक, जयप ुर पांच, कोटा तीन, नागौर सात, पाली तीन, प्रतापगढ़ दो, राजसमंद 57, सीकर एक, टोंक 17, उदयपुर पांच मरीज आए थे। इनके कुल 498 मरीज आए थे। अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रशासन राकेश कुमार ने हर जिले के प्रशासन से संपर्क कर वहां के कलक्टर को इसकी सूचना दी और इन्हें घर में रहने का सुझाव दिया। इनमें से कोई पॉजिटिव नहीं निकला है।
ये दस काम जिनसे भीलवाड़ा में पाया काबू
01 कोरोना संक्रमित रोगी मिलते ही भीलवाड़ा शहर में कफ्र्यू लगा दिया। इससे लोग घरों में रहे और ताकि संक्रमण नहीं फैले।
02 शहर को सीमा को सील कर दिया गया ताकि कोई भी न बाहर जाए न अंदर आ सके।
03 जिले की सीमा को सील कर दिया। करीब 50 जगह चेकपोस्ट बना दी। हर जगह सख्ती कर दी।
04 दूसरे जिलों के कलक्टर को फोन किया और वहां के जिलों की सीमा को सील करवा दिया।
05 रेलवे, रोडवेज को भीलवाड़ा में बंद कराया। निजी वाहनों को रोक दिया।
06 जहां भी पॉजिटिव रोगी मिले उन क्षेत्रों में नो मूवमेंट जोन घोषित कर दिया ताकि कोई भी बाहर नहीं निकले।
07 जिले में 2100 टीमें बनाकर 25 लाख लोगों की स्क्रीनिंग शुरू करा दी। इसमें से 16 हजार 382 लोग सर्दी-जुखाम से संक्रमित मिले। इनका दोबारा सर्वे कराया जिसमें 1215 को जुखाम था। इनको अब होम आइसोलेट कर घर पर सरकारी कर्मचारियों का पहरा लगा दिया।
08 बांगड़ अस्पताल के ओपीडी, आइपीडी व कोरोना संक्रमित रोगी वरिष्ठ फिजीशियन के संपर्क में आए मरीजों की सूची बनाकर उनके घर पहरा लगाकर स्क्रीनिंग शुरू करा दी।
09 जो लोग कोरोना संक्रमित के संपर्क में आए ऐसे छह हजार लोगों को क्वारेंटाइन कर दिया। शहर के सभी होटल को अधिग्रहित कर लिया और इन्हें वहां ठहरा दिया।
10 कलक्ट्रेट के हर अनुभाग को एक जिम्मा दे दिया। किसी ने वाहन, किसी ने जरुरतमंदों को भोजन, किसी ने अस्पताल तो किसी ने निगरानी की व्यवस्था संभाली तब जाकर नियंत्रण में आया।
भीलवाड़ा की जनता की सुरक्षा जरूरी थी, इसलिए तुरंत शहर में कफ्र्यू लगाया और जिले को सील किया। मुझे पता है कई लोगों को इससे तकलीफ भी हुई है। मैने लोगों से हाथ जोड़-जोड़कर निवेदन किया था कि वे घरों से बाहर नहीं निकले। उन्होंने इसे माना। जिला प्रशासन व चिकित्सा विभाग तथा बाकी लोगों की टीम ने जो काम किया उसी का परिणाम है कि हम कोरोना की चेन तोडऩे का प्रयास कर पाए हैं। अभी लोगों को थोड़ा और धैर्य रखना होगा क्योंकि अभी तक पूरा जिला व
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इन सात राज्यों के थे ३६ मरीज
बांगड़ अस्पताल में हिमाचल के हमीरपुर, मध्यप्रदेश के इंदोर, नीमच, रतलाम, उत्तरप्रदेश के ईटावा, गुजरात के अहमदाबाद व सूरत से ३६ मरीज आए थे। भीलवाड़ा प्रशासन ने इनको मोबाइल पर फोन किया तथा लक्षण जानकर इनकों अस्पताल में जांच कराने की सलाह दी। साथ ही वहां के कलक्टर को फोन कर इनकों आइसोलेट करने का सुझाव दिया।
१५ जिलों के कलक्टर से किया संपर्क
सबसे पहले बांगड़ अस्पताल से कोरोना के मरीज आए थे। यहां पर अजमेर के १५३, अलवर के २, भरतपुर के एक, बूंदी के 11, चित्तौडग़ढ़ 230, हनुमानगढ़ एक, जयप ुर पांच, कोटा तीन, नागौर सात, पाली तीन, प्रतापगढ़ दो, राजसमंद 57, सीकर एक, टोंक 17, उदयपुर पांच मरीज आए थे। इनके कुल 498 मरीज आए थे। अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रशासन राकेश कुमार ने हर जिले के प्रशासन से संपर्क कर वहां के कलक्टर को इसकी सूचना दी और इन्हें घर में रहने का सुझाव दिया। इनमें से कोई पॉजिटिव नहीं निकला है।
ये दस काम जिनसे भीलवाड़ा में पाया काबू
01 कोरोना संक्रमित रोगी मिलते ही भीलवाड़ा शहर में कफ्र्यू लगा दिया। इससे लोग घरों में रहे और ताकि संक्रमण नहीं फैले।
02 शहर को सीमा को सील कर दिया गया ताकि कोई भी न बाहर जाए न अंदर आ सके।
03 जिले की सीमा को सील कर दिया। करीब 50 जगह चेकपोस्ट बना दी। हर जगह सख्ती कर दी।
04 दूसरे जिलों के कलक्टर को फोन किया और वहां के जिलों की सीमा को सील करवा दिया।
05 रेलवे, रोडवेज को भीलवाड़ा में बंद कराया। निजी वाहनों को रोक दिया।
06 जहां भी पॉजिटिव रोगी मिले उन क्षेत्रों में नो मूवमेंट जोन घोषित कर दिया ताकि कोई भी बाहर नहीं निकले।
07 जिले में 2100 टीमें बनाकर 25 लाख लोगों की स्क्रीनिंग शुरू करा दी। इसमें से 16 हजार 382 लोग सर्दी-जुखाम से संक्रमित मिले। इनका दोबारा सर्वे कराया जिसमें 1215 को जुखाम था। इनको अब होम आइसोलेट कर घर पर सरकारी कर्मचारियों का पहरा लगा दिया।
08 बांगड़ अस्पताल के ओपीडी, आइपीडी व कोरोना संक्रमित रोगी वरिष्ठ फिजीशियन के संपर्क में आए मरीजों की सूची बनाकर उनके घर पहरा लगाकर स्क्रीनिंग शुरू करा दी।
09 जो लोग कोरोना संक्रमित के संपर्क में आए ऐसे छह हजार लोगों को क्वारेंटाइन कर दिया। शहर के सभी होटल को अधिग्रहित कर लिया और इन्हें वहां ठहरा दिया।
10 कलक्ट्रेट के हर अनुभाग को एक जिम्मा दे दिया। किसी ने वाहन, किसी ने जरुरतमंदों को भोजन, किसी ने अस्पताल तो किसी ने निगरानी की व्यवस्था संभाली तब जाकर नियंत्रण में आया।
भीलवाड़ा की जनता की सुरक्षा जरूरी थी, इसलिए तुरंत शहर में कफ्र्यू लगाया और जिले को सील किया। मुझे पता है कई लोगों को इससे तकलीफ भी हुई है। मैने लोगों से हाथ जोड़-जोड़कर निवेदन किया था कि वे घरों से बाहर नहीं निकले। उन्होंने इसे माना। जिला प्रशासन व चिकित्सा विभाग तथा बाकी लोगों की टीम ने जो काम किया उसी का परिणाम है कि हम कोरोना की चेन तोडऩे का प्रयास कर पाए हैं। अभी लोगों को थोड़ा और धैर्य रखना होगा क्योंकि अभी तक पूरा जिला व
ायरस मुक्त नहीं हुआ है। अब जो लोग चिन्हित है उन्हें ध्यान रखने की जरुरत है।
राजेंद्र भट्ट, जिला कलक्टर
राजेंद्र भट्ट, जिला कलक्टर