भीलवाड़ा

राजस्थान में दौड़ रही एक हजार बसें दूसरे राज्यों को चुका रही टैक्स

– टैक्स बचाने के लिए पंजीयन में खेल :
– ट्रावेल्स के रूप में चल रही कॉन्ट्रेक्ट कैरिज बसें
– राज्य सरकार को सालाना करोड़ों रुपए का नुकसान
– जयपुर-जोधपुर में ऐसी बसों की संख्या ज्यादा

भीलवाड़ाMay 04, 2023 / 12:01 pm

Akash Mathur

राजस्थान में दौड़ रही एक हजार बसें दूसरे राज्यों को चुका रही टैक्स

राजस्थान सरकार को निजी बस ऑपरेटर सालाना करोड़ों रुपए का फटका लगा रहे हैं। टैक्स बचाने का बड़ा खेल चल रहा है। बसें राजस्थान में चल रही है, लेकिन रजिस्ट्रेशन अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में करा रखा है। मामला कॉन्ट्रेक्ट कैरिज बसों से जुड़ा है। राजस्थान में ऑल इंडिया परमिट पर चल रही बसें राजस्थान को छोड़कर अन्य राज्यों से पंजीकृत हो रही है। करीब एक हजार ऐसी बसें अभी प्रदेश में दौड़ रही है। इससे एक तरफ राजस्व का नुकसान हो रहा है तो दूसरी ओर परिवहन विभाग भी प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पा रहा। भीलवाड़ा में करीब पचास बसें अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, असम आदि राज्यों से पंजीकृत है। अन्य राज्यों में पंजीकृत बसें जयपुर-जोधपुर में ज्यादा है।

 

इसलिए हो रहा
ऑल इंडिया परमिट पर बसों को हर माह ऑल इंडिया परमिट फीस और उस राज्य का टैक्स चुकाना होता है। ऑल इंडिया परमिट फीस देश में समान है जबकि हर राज्य का टैक्स अलग-अलग है। राजस्थान में ऑल इंडिया परमिट की बस से हर माह 35 से 38 हजार रुपए टैक्स लिया जाता है। यह सालाना करीब साढ़े चार लाख रुपए प्रति बस बैठता है। अरुणाचल प्रदेश समेत कुछ राज्यों में यह टैक्स राजस्थान से कई गुना कम है। वहां बसें भी कम है। अरुणाचल प्रदेश में ऑल इंडिया परमिट की बसों से सालाना 12 हजार रुपए टैक्स लिया जाता है। यानि एक माह का टैक्स 1000 रुपए हुआ।

ऑफिस बता कराते रजिस्ट्रेशन
टैक्स कम होेने के कारण बस मालिक अन्य राज्यों में छोटा ऑफिस बताकर वहां बसों का रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं। इसके बाद इसे राजस्थान में दौड़ाया जाता है। इनकी नंबर प्लेट वहां की होती है जबकि ये बसें राजस्थान में चलती है। बस ऑपरेटर राज्य सरकार से टैक्स घटाने की मांग लगातार कर रहे हैं।

दस हजार जुर्माने का प्रावधान-
दरअसल, ये बसें कॉन्ट्रेक्ट कैरिज पर होती है यानि समूह के रूप में बुक करवाकर ले जाया जा सकता है। ऐसी बसें शार्दी, पार्टी, तीर्थयात्रा आदि में इस्तेमाल हो सकती है लेकिन बस मालिक ऐसा नहीं करते। ये इन्हें ट्रॉवेल्स के रूप में चलाते हैं। इस समय जयपुर से हरिद्वार, दिल्ली, कोटा, आगरा आदि मार्गों पर बड़ी संख्या में कॉन्ट्रैक्ट कैरिज बसें चल रही हैं। वहीं जोधपुर से कोटा, जयपुर, इंदौर, दिल्ली, बैंगलोर, सूरत, अहमदाबाद और हरियाणा मार्गाें पर अच्छी खासी कॉन्ट्रेक्ट कैरिज बसें दौड़ रही है। परिवहन विभाग की जांच में समूह में बस बुक नहीं मिले तो दस हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है।

इनका कहना है
ऑल इंडिया परमिट की कॉन्ट्रेक्ट कैरिज बसों को दूसरे राज्य से पंजीकृत करा ऑपरेटर टैक्स बचा रहे हैं। इससे सरकार को सालाना करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। दूसरे राज्य की पंजीकृत करीब एक हजार बसें अभी राजस्थान में धड़ल्ले से चलाई जा रही है।
– आर.के. चौधरी, जिला परिवहन अधिकारी, भीलवाड़ा

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फैक्ट फाइल
1000: राजस्थान में चल रही दूसरे राज्य की पंजीकृत बसें
35 हजार : राजस्थान में प्रति बस मासिक टैक्स
12 हजार : अरुणाचल जैसे राज्यों में सालभर का टैक्स
4-5 लाख : सालभर में बस ऑपरेटर को एक बस से फायदा

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