भीलवाड़ा जिला दूध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड के पाउडर प्लांट की ट्रायल शुरू कर दी गई है। एक माह के ट्रायल के बाद इसका उद्घाटन होगा। इस प्लांट से एक लाख लीटर दूध का पाउडर बनाया जा सकेगा। अब दूध को मेरठ व पहुंना नहीं भेजना पड़ेगा। इससे करीब पौने तीन करोड़ रुपए प्रतिवर्ष की बचत होगी। इसका लाभ किसानों को मिलेगा। यह बात भीलवाड़ा डेयरी चेयरमैन रामलाल जाट ने कही।
READ: दशहरा मेले को लेकर विधायक व पालिकाध्यक्ष के बीच खींचतान, पालिकाध्यक्ष ने दी आत्महत्या की धमकी
उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्लांट के शुरू होने में देरी हुई है क्योंकि भाजपा की सरकार बनते ही टेंडर को निरस्त कर दिया था। हालांकि मशीने भी आ गई थी। एनसीडीसी से ऋण लेकर तीन लाख लीटर प्रतिदिन क्षमता का पाउडर प्लांट लगाने का प्रस्ताव सरकार भेजा था, लेकिन एक लाख लीटर प्रतिदिन क्षमता का प्लाट की मंजूर मिली है। इसमें भीलवाड़ा के अलावा कोटा , हाड़ौती, चित्तौडग़ढ़, उदयपुर , राजसमन्द व बांसवाड़ा भी शामिल होगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्लांट के शुरू होने में देरी हुई है क्योंकि भाजपा की सरकार बनते ही टेंडर को निरस्त कर दिया था। हालांकि मशीने भी आ गई थी। एनसीडीसी से ऋण लेकर तीन लाख लीटर प्रतिदिन क्षमता का पाउडर प्लांट लगाने का प्रस्ताव सरकार भेजा था, लेकिन एक लाख लीटर प्रतिदिन क्षमता का प्लाट की मंजूर मिली है। इसमें भीलवाड़ा के अलावा कोटा , हाड़ौती, चित्तौडग़ढ़, उदयपुर , राजसमन्द व बांसवाड़ा भी शामिल होगा।
READ: युवक की हत्या, बिजली के पोल से बंधा मिला शव
पाउडर प्लांट घाटे का सौदा
अध्यक्ष ने कहा कि पाउडर की दरें केंद्रीय नीतियों के कारण ऊपर-नीचे होती है। मेरठ से पाउडर बनाने की लागत 210 रुपए किलो आती है। बाजार में 145 से 180 रुपए किलोग्राम में बिकता है। यहां बिना लाभ हानि के पाउडर बना सकेंगे। भीलवाड़ा का यह पहला प्लांट होगा, जो दानेदार पाउडर बनाएगा। यह पाउडर एक साल तक रह सकेगा। इसकी कीमत भी दस रुपए अधिक होगी।
पाउडर प्लांट घाटे का सौदा
अध्यक्ष ने कहा कि पाउडर की दरें केंद्रीय नीतियों के कारण ऊपर-नीचे होती है। मेरठ से पाउडर बनाने की लागत 210 रुपए किलो आती है। बाजार में 145 से 180 रुपए किलोग्राम में बिकता है। यहां बिना लाभ हानि के पाउडर बना सकेंगे। भीलवाड़ा का यह पहला प्लांट होगा, जो दानेदार पाउडर बनाएगा। यह पाउडर एक साल तक रह सकेगा। इसकी कीमत भी दस रुपए अधिक होगी।
जीएसटी का असर भी
डेयरी अध्यक्ष ने बताया कि जीएसटी के कारण देश की सभी डेयरी का घी तक नहीं बिक रहा है। पैकिंग व रॉ मेटेरियल भी महंगा होने से दाम बढ़ाने पड़े। उधर पशुपालन हित संघर्ष समिति के संयोजक बालूलाल गुर्जर ने कहा कि डेयरी में गुणवत्ता का दूध पशुपालकों की ईमानदारी के कारण मिल रहा है। लेकिन डेयरी उनके साथ कुठाराघात कर रही है। दूध की खरीद दर एक रुपए लीटर कम कर दी जबकि उपभोक्ताओं से दो रुपए लीटर अधिक ले रही है।