जातीय समीकरणों के लिहाज से यहां रोचक मुकाबला देखने को मिला। शुरुआती रुझानाें में यहां भाजपा काे बढत मिलती दिखी, लेकिन अंत में जीत कांग्रेस की हुर्इ। विवेके के पास बीए, एलएलबी, एमबीए की डिग्री
विवेक धाकड़ 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की विधायक दिवंगत र्कीति कुमारी से 18540 मतों से पराजित हुए थे। इस बार फिर लगातार क्षेत्र में सक्रिय होने के कारण व क्षेत्र में धाकड़ जाति के लगभग 30 से 35 हजार मतदाता होने के कारण कांग्रेस ने वापस विवेक धाकड़ पर दांव खेला है।
चुनाव हाेने के बाद विवेक का कहना था कि इस बार पार्टी के वरिष्ठ नेताओं व कार्यकर्ताओं ने अच्छी मेहनत की है। उनकी पार्टी मांडलगढ़ समेत तीनों उपचुनाव में जीत का इतिहास रचेगी। उनके पिता पूर्व जिला प्रमुख कन्हैयालाल धाकड़ भी पार्टी की जीत के प्रति पूर्ण आश्वस्त दिखे।
मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र का इतिहास देखा जाए तो यहां कांग्रेस का दबदबा ज्यादा रहा है। अब तक हुए 15 चुनाव में दस बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की। पूर्व मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर यहां से छह बार निर्वाचित हुए। भाजपा दो बार ही जीत हासिल कर पाई है।
मांडलगढ़ उपचुनाव की सीट इससे पूर्व भाजपा के खाते में थी। यहां भाजपा विधायक कीर्ति कुमारी के निधन के बाद उपचुनाव हुए हैं।