महात्मा गांधी अस्पताल के पीछे स्थित मातृ एवं शिशु इकाई (एमसीएच) में गुरुवार दिनभर मरीजों और परिजनों की जान हलकान रही। यहां तकनीकी खामी के चलते १२ घंटे तक बिजली आपूर्ति बंद रहने से वार्डों में प्रसूताएं गर्मी से घबराकर बाहर गलियारे में आ गई। यही हाल, वहां भर्ती नवजात शिशुओं का था। उन्हें एनआइसीयू से बाहर निकालना पड़ा। मरीजों के साथ वार्ड में तैनात नर्सिंग स्टाफ व चिकित्सकों को भी परेशानी झेलनी पड़ी। बिजली बंद होने से कई काम अटक गए। सुबह 6 से शाम 6 बजे तक वार्डों में बिजली आपूर्ति नहीं होने के बावजूद वैकिल्पक व्यवस्था नहीं की गई। चिकित्सकों को टॉर्च की रोशनी में मरीजों की जांच व उपचार करना पड़ा।
उड़े फ्यूज, पैनल बॉक्स जला गर्मी के चलते लोड बढऩे से एमसीएच में सुबह करीब 6 बजे फ्यूज उड़ गए और पैनल बॉक्स जल गया। इसे ठीक करने के लिए इलेक्ट्रिशयन से कहा गया तो उसने अजमेर से पाट्र्स लाने की बात कही। अजमेर भी पाट्र्स नहीं मिलने पर कर्मचारी जयपुर से पाट्र्स लेकर आया। उसके आने के बाद शाम छह बजे बाद बिजली आपूर्ति बहाल हो सकी।
रुक-रुककर चला जनरेटर बिजली का लोड ज्यादा होने से जनरेटर भी लगातार नहीं चलाया जा सका। थोड़ी-थोड़ी देर में जनरेटर को बंद किया गया। जब तक जनरेटर चला, तब तक मरीजों को कुछ राहत मिली, जैसे ही वह बंद होता फिर परेशानी बढ़ जाती। महात्मा गांधी चिकित्सालय में भी बिजली को लेकर भी कुछ इसी तरह की अव्यवस्थाएं बनी हुई हैं। पिछले एक साल में कई बार बिजली गुल होने से मरीजों को परेशानी उठानी पड़ी। गौरतलब है कि अजमेर विद्युत वितरण निगम ने इमरजेंसी सेवा मानते हुए अलग से बिजली लाइन अस्पताल को दे रखी है।
इनका कहना है अस्पताल में बिजली गुल होने पर जयपुर से पाट्र्स मंगाकर लगवाए गए। इसी कारण समय लगा। भविष्य में एेसा नहीं हो इसके लिए व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं। –डॉ. एसपी आगीवाल, अधीक्षक, महात्मा गांधी चिकित्सालय