दरअसल, मौजूदा सांसद सुभाष बहेड़िया ने चार बार लोकसभा चुनाव लड़ा और तीन बार जीते। बहेड़िया ने पहला चुनाव साल 1996 में जीता। इसके बाद एक चुनाव हार गए थे। हालांकि, साल 2014 व 2019 का चुनाव लगातार जीते। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के बहेड़िया ने 6 लाख 13 हजार 015 मतों से जीत दर्ज की थी, जो राजस्थान में सबसे बड़ी जीत थी। इसके बावजूद भी टिकट कटने से उनके समर्थकों में निराशा है। वहीं वो लोग काफी खुश हैं, जिन्होंने उनको टिकट नहीं देने के लिए मोर्चा खोल रखा था।
—मौजूदा सांसद बाहेड़िया इस बार भी लोकसभा चुनाव में टिकट के दावेदार थे, लेकिन विरोध के चलते टिकट नहीं मिल पाया। सांसद बाहेड़िया के खिलाफ बजेपी में भी विरोध के सुर उठ रहे थे। जिले के सात में से छह विधायकों ने तो खुलकर बाहेड़िया का विरोध और 69 वर्षीय अग्रवाल का समर्थन किया था। भीलवाड़ा विधायक अशोक कोठारी, मांडलगढ़ विधायक गोपाल खंडेलवाल, जहाजपुर विधायक गोपीचंद मीणा, सहाड़ा विधायक लादूलाल पितलिया, शाहपुरा विधायक लालाराम बैरवा और मांडल विधायक उदयलाल भडाणा ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर इस बारे में अगवत भी कराया था।
—मौजूदा सांसद बाहेड़िया का भीलवाड़ा के आरएएस विचार मंच ने खुलकर विरोध किया था। आरएएस विचार मंच ने विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी प्रत्याशी विट्ठल शंकर अवस्थी का विरोध किया था। लेकिन, जब कोई हल नहीं निकला था तो आरएएस विचार मंच के अशोक कोठारी को निर्दलीय रण में उतार दिया और वो भीलवाड़ा से चुनाव जीते। ऐसे में बीजेपी लोकसभा चुनाव में कोई गलती नहीं करना चाहती थी। इस कारण बहेड़िया की जगह दामोदर पर विश्वास जताया।
—भीलवाड़ में पिछले 25 साल में बीजेपी का दबदबा है। 25 साल में हुए पांच लोकसभा चुनाव में कांग्रेस महज एक बार साल 2009 में जीती थी। तब सीपी जोशी विजयी रहे थे और अब भी कांग्रेस ने सीपी जोशी को टिकट दिया है। ऐसे में बीजेपी नेतृत्व यहां से किसी नए चेहरे को मौका देने का प्लान बनाया। सियासी जानकारों की मानें तो इस कारण भी बीजेपी ने बहेड़िया का टिकट काटना ठीक समझा।
—यह भी माना जा रहा है कि हालिया विधानसभा चुनाव में भीलवाड़ा से भाजपा प्रत्याशी विट्टलशंकर अवस्थी को चौथी बार उतारने से कार्यकर्ताओं व मतदाताओं में उपजे असंतोष व हार से सबक लेते पार्टी ने बहेड़िया का टिकट काटा।
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भीलवाड़ा जिले के रहने वाले बीजेपी प्रत्याशी दामोदर अग्रवाल को पीएम नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। पेशे से उद्योगपति अग्रवाल भाजपा में कई पदों पर रहे और वे विभिन्न संगठनों से जुड़े हैं। वर्तमान में वो बीजेपी में प्रदेश महामंत्री हैं। अग्रवाल पिछले 50 साल से आरएसएस व बीजेपी से जुड़े हुए हैं। इन्होंने कभी भी विधानसभा या लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा है। आरएसएस की विचारधारा वाले दामोदर को बीजेपी ने पहली बार चुनाव लड़ने का मौका दिया है।