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भीलवाड़ा

डॉक्टर रोज लिखते 70 से 100 सोनोग्राफी, आधी जांच भी नहीं हो पाती, 4 दिन करना पड़ता इंतजार

संसाधनों के अभाव में अस्पताल में 50 मरीजों की भी यह जांच नहीं हो पाती

भीलवाड़ाJun 04, 2018 / 12:08 am

tej narayan

Lack of resources in bhilwara

Lack of resources in bhilwara

भीलवाड़ा।

महात्मा गांधी चिकित्सालय में डॉक्टर रोजाना 70 से 100 मरीजों को सोनोग्राफी लिखते हैं लेकिन संसाधनों के अभाव में अस्पताल में 50 मरीजों की भी यह जांच नहीं हो पाती। सोनोग्राफी विभाग में केवल एक रेडियोलॉजिस्ट है। लिहाजा 35 से 40 मरीजों की सोनोग्राफी ही हो पाती है। आधे से ज्यादा मरीजों को सोनोग्राफी के लिए निजी केन्द्रों पर जाना पड़ता है।
यदि इस सरकारी अस्पताल में ही सोनोग्राफी करानी है तो तीन से चार दिन तक नम्बर नहीं आता। कभी-कभी सात-सात दिन भी लग जाते हैं। एमजीएच में सप्ताह में पांच दिन ही यह जांच होती है क्योंकि एक दिन रेडियोलॉजिस्ट का साप्ताहिक अवकाश होता है तो एक दिन सिलिकोसिस शिविर में ड्यूटी पर जाना पड़ता है। रविवार को दो घंटे आउटडोर होने से भी अधिकांश मरीजों की सोनोग्राफी नहीं हो पाती। इसे लेकर कई बार हंगामा होता है। तब अस्पताल प्रशासन का रटारटाया जवाब मिलता है-गायनिक चिकित्सकों को सोनोग्राफी जांच के लिए तैयार करेंगे ताकि ज्यादा मरीजों की सोनोग्राफी होसके।
35 हजार सालाना जांच

हर साल एमजीएच के चिकित्सक 30 से 35 हजार मरीजों को सोनोग्राफी लिखते हैं लेकिन 5 से 6 हजार मरीजों की ही जांच हो पाती है। पिछले 16 माह में 7, 267 मरीजों की सोनोग्राफी हो पाई। हालांकि इस दौरान एमजीएच के डॉक्टरों ने 40 से 50 हजार मरीजों को यह जांच लिखी।
डेढ़ माह तक बंद रहा विभाग

पिछले वर्ष डेढ माह मशीन खराब रही। सोनोग्राफी चिकित्सक विजय माहेश्वरी भी लंबे अवकाश पर चले गए थे। तब पीएमओ डॉ. एसपी आगीवाल ने कहा था कि गायनिक चिकित्सक सोनोग्राफी जांच के लिए तैयार करेंगे लेकिन हुआ कुछ नहीं। डॉ. माहेश्वरी के लौटने तक सोनोग्राफी विभाग बंद रहा।गर्भवतियों को ज्यादा परेशानीसमय पर सोनोग्राफी नहीं होने से गर्भवती महिलाओं को ज्यादा परेशानी होती है। बिना सोनोग्राफी गायनिक डॉक्टर देखते नहीं। विभाग में भी गर्भवती महिलाओं की अलग से जांच की व्यवस्था नहीं है। लिहाजा निजी केन्द्रों पर जाने को मजबूर है। जो निजी का खर्च नहीं उठा सकते, वे चक्कर लगाते रहते हैं।

अकेले के बस की बात नहीं

आउटडोर समय में 25-30 मरीजों की सोनोग्राफी ही हो सकती है। मरीजों की बढ़ती संख्या को देख 40 से 50 सोनोग्राफी करने की कोशिश करते हैं। उसी दिन सभी मरीजों की सोनोग्राफी अकेले रेडियोलोजिस्ट के लिए संभव नहीं है। इसलिए मरीजों को दो से तीन दिन इंतजार करना पड़ रहा है।
डॉ. विजय माहेश्वरी, रेडियोलोजिस्ट, सोनोग्राफी विभाग

तीन माह बाद हो जाएगी समस्या हल

हमारे डॉक्टर सीपी शर्मा व सीएस पारीक 21 माह की रेडियोलोजिस्ट की ट्रेनिंग पर गए। 18 माह बीत गए। ये तीन माह बाद लौटेंगे तो समस्या दूर हो जाएगी। एक नई सोनोग्राफी मशीन भी आ गई। जल्द ही १ मशीन मंगाएंगे। चिकित्सकों के आने के बाद संभव हुआ तो तीन मशीनों पर मरीजों को सोनोग्राफी सुविधा मिल सकेगी।
डॉ. एसपी आगीवाल, पीएमओ एमजीएच, भीलवाड़ा

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