वाटरशेड विभाग ने ऑनलाइन टैंडर जारी किए। तकनीकी बीड 21 फरवरी को खोली। चार संवेदक सामने आए। तीन संवेदक की बिना कारण टैंडर कापी निरस्त कर दी। एक संवेदक को 27 फरवरी को वित्तीय बीड खोल दी। विभाग ने 28 फरवरी को सुबह 10.21 बजे पत्र पोर्टल पर अपलोड किया। इसमें अधिकारियों व कर्मचारियों की क्रय या निविदा समिति का गठन किया। समिति को निर्देश दिए कि वे कार्यालय समय में प्रक्रिया पूरी कराए। मजेदार बात है कि कार्यालय आदेश में दिनांक 9/10/2024 लिखी है जबकि डिजिटल हस्ताक्षर पर 28/02/2024 व समय 10.21 बजे लिखा है। पत्र पर हस्ताक्षर जितेन्द्रकुमार कोठारी अधीक्षण अभियन्ता एवं परियोजना प्रबन्धक वाटरशेड के है तो डिजिटल पर निर्मला वैष्णव के है। कोठारी का कहना है कि यह डिजिटल हस्ताक्षर फर्जी है। तारीख वर्ष 2023 की है। जबकि जांच अधिकारी का मानना है कि बिना डिजिटल हस्ताक्षर के ऑनलाइन पोर्टल पर दस्तावेज अपलोड नहीं हो सकते है। कोठारी का कहना है कि निविदा प्रक्रिया नियमानुसार की गई है।
जांच के आदेश, फिर भी पत्र जारी
गड़बड़ी की शिकायत के बाद सीईओ ने जिला परिषद के लेखाधिकारी नरेन्द्र तातेड को जांच सौंपी। तातेड़ ने 27 फरवरी को जांच में कई अनियमितताएं पाई। खटनावलिया ने 28 फरवरी को लिखे पत्र में माना कि निविदा में वित्तीय नियमों की अवहेलना की। विभाग ने माना कि इसमें गड़बड़ी हुई है। उसके बाद भी 29 फरवरी को एसई कोठारी ने आनन-फानन में संवेदक को पत्र जारी कर धरोहर व प्रतिभूति राशि जमा कराने के आदेश जारी कर दिए। शिकायतकर्ता धामणिया के भवानीशंकर शर्मा ने सीईओ, जिला कलक्टर व वाटरशेड निदेशक को पत्र लिख निविदा प्रक्रिया निरस्त करने की मांग की।