सरकार ने मनरेगा के तहत हर पंचायत में खेल मैदान विकसित करने का लक्ष्य तय किया लेकिन जिले में दो साल पहले मंजूर 202 खेल मैदानों में से महज 2 का ही निर्माण हो सका है। इससे पहले 83 खेल मैदान बन चुके थे।
जिला परिषद के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में खेल मैदान के लिए ग्रामीण विकास विभाग ने दिशा-निर्देश एवं तकनीकी मापदण्ड जारी किए।
जिला परिषद के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में खेल मैदान के लिए ग्रामीण विकास विभाग ने दिशा-निर्देश एवं तकनीकी मापदण्ड जारी किए।
READ: campaign: इस बांध ने फूला दी थी प्रशासन की सांसे, मानसून चौखट पर नहीं बदले हालात स्कूल एवं पंचायत भवन से प्रांगण खेल मैदान बनाए जा रहे हैं। खेल मैदान 10 हजार वर्ग मीटर एवं 4800 वर्गमीटर आकार के मानक अनुसार बनाए जाने है। दस हजार वर्ग मीटर के मैदान की लागत तीन लाख रुपए आती है। 4800 वर्ग मीटर के खेल मैदान की लागत लगभग दो लाख रुपए व अन्य खर्च सहित तैयार किए जाने हैं।
READ: खटपट की आवाज से नींद खुली तो चोरों ने किया कुछ ऐसा कि वह मदद के लिए चिल्ला न सके
जिला परिषद अधिकारियों का दावा है कि जिन गांवों में खेल मैदान बनाए जा चुके हैं, वहां बच्चे फुटबॉल, वालीवॉल, क्रिकेट, कबड्डी और खो-खो खेल खेले जा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि गांवों में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, जरूरत है तो सिर्फ संसाधनों की, जिसकी पूर्ति मनरेगा योजना से की जा रही है।
जिला परिषद अधिकारियों का दावा है कि जिन गांवों में खेल मैदान बनाए जा चुके हैं, वहां बच्चे फुटबॉल, वालीवॉल, क्रिकेट, कबड्डी और खो-खो खेल खेले जा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि गांवों में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, जरूरत है तो सिर्फ संसाधनों की, जिसकी पूर्ति मनरेगा योजना से की जा रही है।
जहां निर्माण स्वीकृति जारी कर रखी है वहां कुछ परेशानी आ रहा है। जिले में 202 खेल मैदान के लिए 168 लाख रुपए की स्वीकृति जारी कर रखी है। इनमें से अब तक 2 का ही निर्माण हो पाया है। शेष निर्माण के पीछे राजनीति हस्तक्षेप बताया जा रहा है। कई पंचायतों में जमीन नहीं मिल रही है तो कुछ में अवैध निर्माण हो चुके है, जिन्हें हटाया तक नहीं जा रहा है।
19 और पंचायतों में काम बंद अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे महानरेगा के संविदा कर्मचारियों ने बुधवार को भी पंचायत समिति पर धरना दिया। साथ ही सरकार से शीघ्र उनकी मांगें पूरी करने की मांग की। नरेगा कार्मिक एक मई से हड़ताल पर हैं। हड़ताल के चलते जिले में 19 और पंचायतों में मनरेगा के कार्य बन्द हो गए। मंगलवार को 184 पंचायतों में ही काम चल रहा था, जो बुधवार को घटकर 165 पंचायतें रह गई है। इनमें 44,500 श्रमिक ही काम कर रहे हैं।
खास बात तो यह है कि कोटड़ी व रायपुर की एक-एक ग्राम पंचायत में काम चल रहा है। कोटडी पंचायत में मात्र 25 श्रमिकों को रोजगार मिला हुआ है। रायपुर में 201 श्रमिक काम कर रहे हैं। नए मस्टरोल जारी नहीं हो पा रहे है। जिन मस्टरोल में काम पूरा हो गया है तो उन्हें एमआईएस में चढ़ाने वाला कोई नहीं है। ऐसे में श्रमिकों को भुगतान भी नहीं मिलने वाला है। मनरेगा कार्मिकों की हड़ताल के चलते केन्द्र से टीम ने भी फिलहाल दौरा कुछ दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया है।