भीलवाड़ा

सोमेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास पौने चार सौ साल पुराना

शाहपुरा कस्बे में तरणताल के समीप पिवणिया तालाब स्थित शिवमंदिर सोमेश्वर महादेव शाहपुरा की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। मंदिर का इतिहास पौने चार सौ साल पुराना है। यहां सावन मास में भक्तों की भीड़ रहती है और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान होते है।

भीलवाड़ाJul 30, 2021 / 01:35 pm

Narendra Kumar Verma

History of Someshwar Mahadev Temple is four hundred years old

भीलवाड़ा। शाहपुरा कस्बे में तरणताल के समीप पिवणिया तालाब स्थित शिवमंदिर सोमेश्वर महादेव शाहपुरा की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। मंदिर का इतिहास पौने चार सौ साल पुराना है। यहां सावन मास में भक्तों की भीड़ रहती है और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान होते है।
मंदिर पुजारी अरविंद कालू पाराशर बताते है कि तालाब की पाल पर चलते हुए लोगों के पैरों में एक पत्थर टकराता था। वहां टहलने वाले लोगों ने १५ अगस्त १९८८ को उस पत्थर को खोद कर हटाना चाहा। थोड़ा खुदाई करने पर पत्थर पर किसी मंदिर के शिखर की गुदाई के चिंह नजर आए।
लोगों ने उसकी खुदाई की तो चार खम्भों पर बनी गुम्बदार छतरी निकली। यह बात क्षेत्र में आग की तरह फैलने पर लोग कार सेवा में जुट गए। नगर पालिका एवं प्रशासन की देख-रेख में सही ढंग से खुदाई करवायी गई। खुदाई के दौरान चार खंभों पर ११ फीट नीचे शिवलिंग व शिव परिवार की प्रतिमाएं स्थापित मिली।

पाराशर ने बताया कि पिवणिया तालाब की पाल की खुदाई के दौरान ही मंदिर की कच्ची दीवार ढ़हने से शिक्षाविद देवकीनंदन शर्मा व विश्वबंधु पाठक मिट्टी में दब गए थे, लोगों ने रेस्क्यू कर उन्हें सुरक्षित निकाला। तब इस मंदिर का जीर्णोधार करवाया गया। शिवमंदिर सोमेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध है।

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