भीलवाड़ा

हाईकोर्ट ने तकनीशियनों की सेवाएं समाप्त करने पर लगाई रोक

राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर ने कोविड 19 की रोकथाम एवं टेस्टिंग के लिए निदेशालय चिकित्सा शिक्षा विभाग से संबंधित राजमाता विजय राजे सिंधिया मेडिकल कॉलेज भीलवाड़ा मेंं कार्यरत कार्यरत वरिष्ठ प्रयोगशाला तकनीशियनों की सेवाएं समाप्त कर उनके स्थान पर नवीन संविदा कर्मियों को लगाने के आदेश पर रोक लगा दी है।

भीलवाड़ाJul 07, 2021 / 01:05 pm

Narendra Kumar Verma

Forgery in the name of BC, the operator absconded, the demonstration o

भीलवाड़ा। राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर ने कोविड 19 की रोकथाम एवं टेस्टिंग के लिए निदेशालय चिकित्सा शिक्षा विभाग से संबंधित राजमाता विजय राजे सिंधिया मेडिकल कॉलेज भीलवाड़ा मेंं कार्यरत कार्यरत वरिष्ठ प्रयोगशाला तकनीशियनों की सेवाएं समाप्त कर उनके स्थान पर नवीन संविदा कर्मियों को लगाने के आदेश पर रोक लगा दी है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता बलवीर सिंह राठौड़ व अभिमन्यु सिंह रणिसर ने बताया कि परिवादी राजकुमार व अन्य बनाम सरकार की याचिका पर मंगलवार को न्यायाधीश दिनेश मेहता ने सुनवाई की।
याचिका के अनुसार कोरोना वायरस की रोकथाम व त्वरित टेस्टिंग के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग राजस्थान सरकार के पत्र दिनांक 28 मई 2020 की अनुपालना में निदेशालय चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा स्वीकृति पत्र दिनांक 30 मई 2020 से 236 वरिष्ठ प्रयोगशाला तकनीशियनों सहित 452 पैरा मेडिकल पदों का सृजन किया गया था। उक्त 236 वरिष्ठ प्रयोगशाला तकनीशियनों के पदों में से 18 पद मेडिकल कॉलेज भीलवाड़ा को आवंटन किए गए थे। स्वीकृति पत्र ३० मई 2020 की अनुपालन में राजमाता विजय राजे सिंधिया मेडिकल कॉलेज भीलवाड़ा द्वारा निविदा आमंत्रित कर प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से 18 वरिष्ठ प्रयोगशाला तकनीशियनो के पदों को भरने के लिए निविदा निकाली गई थी। उक्त निविदा के क्रम में चयनित याचिका कर्ताओं को स्नातक के अंकों को आधार मान व साक्षात्कार एवं दस्तावेज सत्यापन के पश्चात मेडिकल कॉलेज भीलवाड़ा में वरिष्ठ प्रयोगशाला तकनीशियनों के पदो पर नियुक्ति प्रदान की गई थी।
मालूम हो एक समय में भीलवाड़ा में कोविड.19 के एक्टिव केसेज की संख्या पूरे राज्य में सर्वाधिक थी, जिला कलक्टर एवं स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में चिकित्सा कर्मियों नर्सिंग स्टाफ एवं पैरामेडिकल कर्मियों की टीम ने योजनाबद्ध तरीके से आपसी तालमेल बिठाकर सिर्फ एक माह में ही एक्टिव केसेस की स्थिति को नियंत्रण में ले संपूर्ण देश में भीलवाड़ा मॉडल को आदर्श मॉडल मानकर कोविड.19 की रोकथाम में अग्रणी साबित किया था।
उक्त कार्य में याचिकाकर्ताओं का भी बड़ा योगदान था, फि र भी याचिकाकर्ताओं के उस योगदान को नजरअंदाज कर मेडिकल कॉलेज भीलवाड़ा द्वारा मौखिक आदेश पारित कर उन्हें सेवा से यह कहते हुए पृथक कर दिया गया कि उनके स्थान पर नवीन संविदा कर्मियों को लिया जाएगा, जो कि उनके द्वारा चयनित की गई नई प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से लिए जाएंगे।
उक्त आदेश को याचिकाकर्ता द्वारा उच्च न्यायालय जोधपुर पीठ के समक्ष याचिका पेश कर चुनौती दी गई। न्यायाधीश दिनेश मेहता की एकलपीठ ने स्वीकार कर सरकार से याचिकाकर्ताओं को सेवा से पृथक करने के आदेश के संदर्भ में नोटिस जारी कर जवाब तलब किया, साथी ही जब तक नियमित भर्ती से उक्त पदों को नहीं भरा जाता, तब तक याचिकाकर्ताओं को सेवा से पृथक नहीं करने व उनके पदों को दूसरे संविदा कर्मियों से नहीं भरने का आदेश पारित किया।

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