प्रदेश में सक्रिय मानसून ने फिर से जोर पकड़ लिया है। पूरे राजस्थान में बरसात का दौर चल रहा है। भीलवाड़ा, चित्तौडगढ़़ व प्रतापगढ़ जिले के अधिकतर बांध छलक रहे हैं। बांधों के गेट खोलकर पानी की निकासी जा रही है। रावतभाटा के राणाप्रताप सागर बांध से पानी की निकासी से सदानीरा चम्बल नदी भारी उफान पर चल रही है। कोटा बैराज के 19 गेट में से 16 गेट खोलकर पानी की निकासी की जा रही है। पानी की निकासी के दौरान चम्बल का विकराल रूप दिखाई दे रहा है। चम्बल में पानी के भारी बहाव को देखते हुए कोटा से लेकर धौलपुर तक अलर्ट किया गया है। कोटा शहर में चम्बल किनारे बसे निचले इलाकों को खाली करवाया जा रहा है। प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड पर आ चुका है।
भीलवाड़ा जिले का प्रमुख मेजा बांध भी अब लबालब हो रहा है। मातृकुण्डिया बांध के गेट खोलने एवं मेजा फीडर से पानी आने के बाद मेजा बांध में पानी की आवक बढ़ गई है। भीलवाड़ा जिले की प्रमुख नदी कोठारी पर बने मेजा बांध की खुशियां कई सालों बाद आने वाली है। कई सालों के बाद मेजा बांध ओवरफ्लो होगा। मेजा बांध ओवरफ्लो होने पर इसका पानी त्रिवेणी पहुंचेगा। मेनाली, बेड़च व बनास नदी के संगम त्रिवेणी का गेज लगातार बढ़ रहा है। सोमवार को त्रिवेणी नदी फिर से उफान पर आ गई है। त्रिवेणी का पानी पुलिया से टकरार गया है। बनास नदी का जलस्तर बढऩे से यह पानी बीसलपुर बांध में जा रहा है। इससे बीसलपुर बांध की पानी की आवक बढ़ रही है। ज्ञात है कि भीलवाड़ा क्षेत्र में बरसात के पानी से ही बीसलपुर बांध भरता है। भीलवाड़ा जिले की नदियों का पानी ही बीसलपुर बांध पहुंच रहा है। इस बार भारी बरसात से जिले की नदियां उफान पर चल रही है। बांध भी ओवरफ्लो चल रहे हैं। बीसलपुर बांध से राजधानी जयपुर समेत अजमेर व अन्य कस्बों में जलापूर्ति की जा रही है। बीसलपुर बांध के भरने की उम्मीद के साथ कई जिलों में खुशी की लहर है। बरसात का दौर लगातार जारी रहने से भीलवाड़ा, कोटा, चित्तौडगढ़़, प्रतापगढ़, बूंदी में प्राकृतिक झरने लगातार चल रहे हैं।