प्रसिद्ध मंदिर हरणी महादेव में शिव भोले के दर्शन के लिए भक्तों की दूसरे दिन बुधवार को भी कतारें लगी रही। भक्तों ने जलाभिषेक किया। हरणी महादेव में नगर परिषद के मेले के दूसरे दिन भी लोगों की भीड़ रही। दुकानों पर खरीदारी के लिए दिनभर लोग आते रहे। बच्चों ने झूले-चकरी का आनंद लिया। खाने-पीने की स्टॉल्स भी खूब लगी है।
READ: धरी रह गई पुलिस को चकमा देने की चालबाजी, वारदात के बाद तोड़ देते थे सिम हरणी महादेव में भरने वाले इस मेले में शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के भीद खूब लोग आते हैं। इसमें मौत का कुआं सहित कई विशेष दुकानें लगी है। इनमें मणिहारी व अन्य दुकानें हैं। इस वजह से महिलाओं व बच्चों का खूब पसंद आ रहा है। सुबह सभापति ललिता समदानी, आयुक्त पदमसिंह नरूका आदि ने जायजा लिया।
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पंवार आएंगे गुरुवार को हरणी महादेव में कवि सम्मेलन होगा। इसमें डॉ. हरिओम पंवार मेरठ, डॉ. कीर्ति काले दिल्ली, दीपक गुप्ता दिल्ली, शशिकांत यादव देवास, गोविंद राठी शुजालपुर, संपत सुरीला कांकरोली, योगेंद्र शर्मा भीलवाड़ा होंगे।
पंवार आएंगे गुरुवार को हरणी महादेव में कवि सम्मेलन होगा। इसमें डॉ. हरिओम पंवार मेरठ, डॉ. कीर्ति काले दिल्ली, दीपक गुप्ता दिल्ली, शशिकांत यादव देवास, गोविंद राठी शुजालपुर, संपत सुरीला कांकरोली, योगेंद्र शर्मा भीलवाड़ा होंगे।
त्रिवेणी मेले में उमड़े ग्रामीण महाशिवरात्रि पर त्रिवेणी संगम तट पर बुधवार को एक दिवसीय सौरत मेला आयोजित किया गया। मेले में सुबह से ही ग्रामीणों के आने का सिलसिला शुरू हुआ जो शाम तक चला। मेले में ग्रामीणों ने डोलर, झूले का आनन्द उठाया तो महिलाओं ने जमकर खरीददारी की। युवतियों ने श्ररँगार की वस्तुएं खरीदी तो युवकों ने झूलो में झूलने का आनन्द लिया। समूह में गीत गाती महिलाएं मेले में पहुंची।
मेले में पुलिस उप अधीक्षक राजेन्द्र सिंह नेन, थाना प्रभारी तुलसीराम प्रजापत मय जाब्ते के तैनात रहे। सौरत का मेला गुरुवार से तीन दिन के लिए बीगोद कस्बे में लगेगा।
नदी के पानी से आई समस्या
इस बार त्रिवेणी नदी में पानी अधिक होने से मेले में आए कुछ व्यापारियों को अपनी दुकान के लिए जगह नही मिली। मेले स्थल से दूर मिट्टी के बर्तन बेच रहे व्यापारियों के पास जाने के लिए ग्रामीणों ने नदी के पानी मे उतर कर जाना पड़ा। घटनों तक भरे नदी के पानी के बाद भी ग्रामीणों ने मिट्टी के बर्तन खरीदे।
नाव से रखी नजर
त्रिवेणी नदी में पुलिस ने गोताखेरो के साथ नाव की व्यवस्था भी की। नाव से मेले में आएं ग्रामीणों पर नजर रखी गई। गत वर्ष त्रिवेणी मेला देखने आए एक अधेड़ की डूबने से मौत हो गई थी जिसका शव तीन दिन बाद मिला था।