भीलवाड़ा

जाल में फंसी जलपरी देख मछुआरों के चेहरे चमके

शहर के प्रमुख जलस्रोतों पर मछली पालन किया जा रहा है।

Dec 08, 2017 / 10:56 pm

tej narayan

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वस्त्रनगरी होने के साथ ही मछली उत्पादन क्षेत्र में भीलवाड़ा अव्वल है। शहर के प्रमुख जलस्रोतों पर मछली पालन किया जा रहा है।
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यहां मछली पालन के ठेेेेके दिए गए। शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर गुवारड़ी बांध पर मत्यास्याखेट किया जा रहा था।
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गुवारड़ी फिश फार्म पर प्रमुख रूप से कतला व कॉमन कॉर्प मछलियों के बीज का उत्पादन होता है। यहां मत्स्य बीज पैदा किया जाता है।
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खास बात यह है कि भीलवाड़ा में के बाशिंदे रोजाना 500 किलो मछलियां खा जाते हैं।
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मत्स्य विभाग के मुताबिक, जिले में उत्पादित मछलियों में से पांच सौ किलो मछलियां प्रतिदिन भीलवाड़ा के लोग खा जाते हैं।
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इनमें अकेले शहर में ही दो सौ, जबकि जिले के ग्रामीण इलाकों में तीन सौ किलो मछलियों की प्रतिदिन बिक्री हो रही है।
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मछली बिक्री की शहर में 20, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 40 दुकानें हैं। मछली उत्पादन बढऩे से मार्केट का दायरा भी बढ़ा है। भीलवाड़ा में उत्पादित मछलियां दूसरे राज्‍यों में भी जा रही है।

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