जिले में भी ऐसा किसान है जो 26 साल से कृत्रिम पैर के सहारे खेती कर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा है। यह शख्स है कोटा रोड नईं ईरास के रहने वाले 46 वर्षीय गणपतलाल बलाई । 2 अक्टूबर 1991 को जब गणपतलाल 20 वर्ष के थे, तब जीवन में एेसा तूफान आया जो उन्हें दिव्यांग बना गया। घटना को 26 साल हो चुके लेकिन वह दृश्य आज भी जब उनके मस्तिष्क में घूमता है तो रूह कांप उठती है। हुआ यूं कि सांगानेरी गेट पर साइकिल का पंचर बनवा रहे थे। तभी अचानक सामने से आए बेकाबू ट्रक ने गणपतलाल का बायां पैर कुचल दिया।
READ: चार वाहन टकराए, एक पलटा, दो ढाबे में घुसे गंभीर दुर्घटना में उनका एक पैर जाता रहा। ऐसा नहीं है कि उन्होंने कभी अपना इलाज नहीं कराया। उन्होंने सारा पैसा इलाज में पानी की तरह बहा दिया। आखिरकार उन्हें अपना बायां पैर कटवाना पड़ा। मुआवजा लेने के लिए ट्रक मालिक पर कोर्ट में केस भी किया। लेकिन कुछ समय बाद वकील की मौत हो गई। उसके बाद केस हार गए पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी। खेत नहीं होने के बावजूद ईंरास व सुवाणा में ही सिंजारे की खेती कर रहे हैं।
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6 बेटियों व एक बेटे के पिता गणपतलाल दिव्यांग होने के बाद भी उन्हें पढ़ाने-लिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हादसे के वक्त उनके 4 बेटियां थी। बेटे की चाह में 2 और बेटियां हो गई। 6 बेटियां होने के बाद उनके एक लड़का हुआ। जो हाल में कक्षा 4 में अध्ययन कर रहा है।
6 बेटियों व एक बेटे के पिता गणपतलाल दिव्यांग होने के बाद भी उन्हें पढ़ाने-लिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हादसे के वक्त उनके 4 बेटियां थी। बेटे की चाह में 2 और बेटियां हो गई। 6 बेटियां होने के बाद उनके एक लड़का हुआ। जो हाल में कक्षा 4 में अध्ययन कर रहा है।
अब सरकारी मदद की है दरकार
गणपत बीपीएल है। 35 किलो गेहूं व 500 रूपए की मासिक विकलांगता पेंशन के अलावा बाकी सरकारी सुविधाओं को तरस रहा है। बेटियों के विवाह के दौरान सरकारी मदद के लिए खूब चक्कर काटे मगर निराश होकर ससुर की मदद से बेटियों का विवाह करवाया।
गणपत बीपीएल है। 35 किलो गेहूं व 500 रूपए की मासिक विकलांगता पेंशन के अलावा बाकी सरकारी सुविधाओं को तरस रहा है। बेटियों के विवाह के दौरान सरकारी मदद के लिए खूब चक्कर काटे मगर निराश होकर ससुर की मदद से बेटियों का विवाह करवाया।