भीलवाड़ा । अपने उपदेशों से जन-जन के अज्ञान को दूर करने वाले व अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य महाश्रमण राजस्थान की सीमा की ओर निरंतर गतिमान हैं। आचार्य रविवार को मल्हारगढ़ से मंगल विहार किया। लगभग 14.5 किलोमीटर का विहार कर गुरुदेव भातखेडा के राधादेवी रामचंद्र मंगल इंस्टीट्यूट में प्रवास के लिए पधारे। सोमवार को आचार्य का नीमच व 6-7 को जावद, 11 व 12 जुलाई को चित्तौडग़ढ़ में संभावित प्रवास रहेगा। आचार्य महाश्रमण ने कहा कि दो प्रकार की चेतना होती है। विशुद्ध चेतना एवं अशुद्ध चेतना। हमारी चेतना अशुद्ध है। जो सिद्ध होते हैं, सर्वकर्म मुक्त होते हैं उनकी चेतना ही विशुद्ध चेतना होती है। बाकी जितने भी संसारी हैं उनकी आत्मा कर्मयुक्त है, अशुद्ध चेतना है। किसी में कर्मों का हल्कापन भी हो सकता है, परंतु सिद्धों में कोई तारतम्य में नहीं होता। अवीतराग हैं, चेतना अशुद्ध है तो उसमें कषाय का भी योग रहता है। क्रोध, मान, माया, लोभ रूपी कषाय व्यक्ति में होते हैं। माया के द्वारा व्यक्ति यथार्थ को आवृत करने का प्रयास करता है। आचार्य ने कहा कि व्यक्ति छलना, माया के द्वारा बात को छुपाने का प्रयास करता है। किसी को ठगना, धोखाधड़ी करना, अपनी चेतना को और अशुद्ध बनाना है। माया के साथ मृषा जुड़ी हुई है। वैसे ही सरलता के साथ सच्चाई जुड़ी हुई है। हर बात प्रकट करना जरूरी नहीं हो सकता परंतु जो प्रकट करें उसमें छल नहीं होना चाहिए। झूठ और सत्य में लक्ष्य क्या है, दृष्टिकोण क्या है उसका बड़ा महत्व होता है। व्यक्ति यह ध्यान दें की सच्चाई के सामने परेशानी तो आ सकती है पर भविष्य सच्चाई का ही अच्छा होता है। जीवन में सरलता बढे और जितना हो सके उतना माया, छल-कपट का परिहार हो तो आत्मा उन्नति की ओर बढ़ सकती है। ——- भीलवाड़ा में जैन संतों का प्रवास – स्थान-नागौरी गार्डन तेरापंथ भवन मुनि राजकुमार, मुनि पुलकित कुमार ठाणा-3 – स्थान- आरके कॉलोनी दिनेश कांठेड़ मुनि कुलदीप कुमार ठाणा-२ – स्थान- आरसीव्यास जयाचार्य भवन मुनि अजय प्रकाश, अतुल कुमार ठाणा-2 – स्थान-काशीपुरी रांका निवास साध्वी चांद कुमारी ठाणा-10 – स्थान- महावीर कॉलोनी प्रज्ञा भारती साध्वी कनक, साध्वी उर्मिला, साध्वी शुभ प्रभा, साध्वी सम्पुर्ण यशा ठाणा-17 – स्थान- एलएनटी रोड़ गोखरू भवन साध्वी साधना ठाणा-8 – स्थान-बंसत बिहार साध्वी कमल प्रभा, साध्वी मधुबाला ठाणा-११