11 अप्रेल को गणगौर का पर्व मनाया जाएगा। होली के बाद से ही गणगौर पूजन शुरू हो गया। 16 दिन घरों में पूजा-अर्चना के बाद गणगौर व ईसर की प्रतिमाओं को लवाजमे के साथ गणगौर घाट पर लाया जाएगा। आखिरी दिन गणगौर विसर्जन होगा। वहीं, ईद भी चांद देखकर 10 या 11 अप्रेल को मनाया जाएगा।
घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां
पंडित अशोक व्यास के अनुसार, इस साल चेत्र नवरात्र पर माता का वाहन घोड़ा होगा। घोड़े को मां दुर्गा का शुभ वाहन नहीं माना जाता है। पूरे साल चार बार नवरात्र आती है। इनमें आश्विन और चेत्र मास की नवरात्रि सबसे ज्यादा समाज में प्रचलित है। नवरात्र में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब माता रानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं तो समाज और राजनीति में बड़ी उथल-पुथल हो सकती है और विवाद और युद्ध की स्थिति भी बन सकती है।
चेटीचंड की भी होगी धूम, रामनवमी 17 को
नवरात्र के साथ नवसंवत्सर की भी शुरुआत हो जाएगी। इसी के साथ महाराष्ट्र समाज के लोग गुड़ी पड़वा मनाएंगे। सिंधी समाज चेटीचंड मनाएगा। नव संवत्सर को हिंदू नववर्ष की शुरुआत माना जाता है। इस दिन नीम की नई कोंपलों के साथ काली मिर्च व मिश्री का प्रसाद का भोग लगाकर खाया जाता है। इसी तरह, रामनवमी 17 अप्रेल को मनाएंगे।