जमीन में जा रहे केमिकलयुक्त पानी से अब सब्जियों का रंग और स्वाद बदल गया है। चौंकाने वाली बात है कि जिन सब्जियों को आप हरी और ताजा मानकर खाते हैं, वे घातक बीमारियों की वजह बन सकती है। शहर के निकट बनास नदी के पेटे में बसे गांवों में फसल पर भी फर्क पडऩे लगा है।
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राजस्थान पत्रिका टीम ने बनास नदी के पेटे में बसे गांवों के खेतों का जायजा लिया तो भयानक तस्वीर सामने आई है। जो गोभी के फूल कभी सफेद आते थे, वे अब लाल और पीले आने लगे हैं। चिंताजनक बात तो यह है कि गोभी का फूल अब कैंसर का सूल भी बन सकता है। बनास नदी के आसपास मंगरोप, हमीरगढ़, मंडफिया, बरड़ोद, गुवारड़ी आदि क्षेत्रों के जो खेतों से जो उपज आ रही है उस पर काफी फर्क पड़ा है।
राजस्थान पत्रिका टीम ने बनास नदी के पेटे में बसे गांवों के खेतों का जायजा लिया तो भयानक तस्वीर सामने आई है। जो गोभी के फूल कभी सफेद आते थे, वे अब लाल और पीले आने लगे हैं। चिंताजनक बात तो यह है कि गोभी का फूल अब कैंसर का सूल भी बन सकता है। बनास नदी के आसपास मंगरोप, हमीरगढ़, मंडफिया, बरड़ोद, गुवारड़ी आदि क्षेत्रों के जो खेतों से जो उपज आ रही है उस पर काफी फर्क पड़ा है।
READ: खनन व्यवसायियों और स्टॉक मालिकों को धमका रहे तीन फर्जी पत्रकार गिरफ्तार यहां पर खेत बंजर हो गए है। मिट्टी का रंग बदल गया है। घर-घर में चर्म रोगी भी दिखने लगे हैं। जमीन में जहरीले पानी की मुख्य वजह यह है कि इन गांवों के आसपास कई औद्योगिक इकाइयां है। इनसे जो केमिकलयुक्त काला पानी निकलता है वे बाहर आने से जमीन में जा रहा है। इससे यह हालात बन गए है। बनास के पेटे में खेती में क्या हुआ बदलाव, इस पर एक रिपोर्ट।
इस पानी से चाय फट जाती है क्षेत्र की उगमीदेवी ने बताया कि अब पानी का स्वाद इतना बदल गया है कि ढंग से पी भी नहीं सकते हैं। चिंता की बात तो यह है कि खेतों के इस पानी से अब हम चाय भी नहीं बना सकते हैं क्योंकि चाय ही फट जाती है। एेसे में कुछ कुएं है जो मीठा पानी वाले हैं उससे पानी लाना पड़ता है।
चिंताजनक इसलिए क्योंकि भूजल हुआ खराब औद्योगिक इकाइयों केे छोड़े जाने वाले काले पानी व अन्य केमिकल की वजह से धीरे-धीरे क्षेत्र का भूजल भी खराब हो गया है। इस पानी से खेतों की उर्वरक क्षमता कमजोर हो गई है। क्षेत्र के करीब 80 से ज्यादा गांव है जो काले पानी की चपेट में हैं।
एेसे समझें काले पानी की डरावनी हकीकत
80 से ज्यादा गांवों का भूजल खराब
70 किलोमीटर एरिया हो रहा है प्रभावित
25 प्रतिशत कम हो गया कृषि उत्पादन
01 लाख लीटर पानी चाहिए प्रोसेस हाउस को
80 से ज्यादा गांवों का भूजल खराब
70 किलोमीटर एरिया हो रहा है प्रभावित
25 प्रतिशत कम हो गया कृषि उत्पादन
01 लाख लीटर पानी चाहिए प्रोसेस हाउस को
अब सफेद की जगह आ रही पीली गोभी
मंगरोप के रामेश्वर कीर ने बताया, कास्टिक की वजह से कुओं का पानी खराब हो गया। पहले कभी पानी मीठा था पर अब स्वाद बदल गया। अभी गोभी की खेती करता हूं पर अधिकांश पीली पड़ गई। बाजार में भाव नहीं मिलते हैं। यह सेहत के लिए ठीक नहीं है। आसपास में फै क्ट्रियों से जो केमिकलयुक्त पानी निकलता है इससे पानी में बदलाव हुआ।
कृषि विशेषज्ञ बोले, शरीर को हो सकता है नुकसान
&केमिकलयुक्त पानी से खेतों की स्थिति बिगड़ रही है। यहां की मिट्टी खराब होने की शिकायतें आई है। स्थिति यह है कि खेतों में काले रंग की परत जम गई है। सब्जियों का रंग बदल गया है। उनमें जो मिनरल्स होने चाहिए, वे गायब होने लगे हैं। मूंगफली के पौधे उग रहे हैं लेकिन दाना भी नहीं मिलता है। पौधे उगते हैं पर वाष्पीकरण बंद होने से विकसित नहीं होते हैं। कई बार तो बीज भी नहीं उगता है। साथ ही इस क्षेत्र की सब्जियां शरीर को भी नुकसान पहुंचाती है।
ललित छाता, एसोसिएट प्रोफेसर, बारानी कृषि अनुसंधान केंद्र