आईजी के आदेश दरकिनार, सत्यापन में लगा दी मोहर
आईजी ने रामजस की पूरी बात सुनने के बाद उसके परिवाद की जांच के लिए भीलवाड़ा पुलिस अधीक्षक को आदेश दिए। एसपी ने मामले की जांच पुर थानाप्रभारी शिवराज गुर्जर को सौंपी। थानाप्रभारी गुर्जर ने सीआई राजेन्द्र गोदारा की जांच पर मोहर लगाकर उसे सही ठहरा दिया। इसका रामजस को पता लगा तो उसने हार नहीं मानी। फिर से वह आईजी ऑफिस गया।
इस बार डीएसपी को दी
आईजी ने मामले पर संदेह होने पर कार्यालय में तैनात डीएसपी बंशीलाल को जांच सौंपी। सितम्बर-2022 में जांच डीएसपी बंशीलाल के पास आई। बंशीलाल ने तफ्तीश शुरू की तो उनको फाइल में घालमेल नजर आया। वह मांडल आए और पंचायत से लेकर मांडल थाने तक के दस्तावेज जुटाए। इसके बाद रामजस के बैंक में रहन रखे पट्टे को देखा तो पुलिस अधिकारी की गड़बड़ी पकड़ में आ गई। दो माह में जांच पूरी कर डीएसपी ने रिपोर्ट आईजी को सौंप दी। आईजी ने जांच की सत्यता परखी और उसके बाद दोनों सीआई पर गाज गिरी। इस मामले में उपनिरीक्षक अय्यूब मोहम्मद और उगमाराम भी संदेह के दायरे में है। दोनों उपनिरीक्षक भी जांच के दौरान एक के बाद एक मांडल थाने में प्रभारी रहे हैं।