पंडित अशोक व्यास ने बताया कि इस वर्ष सूर्य ग्रह का राशि परिवर्तन प्रातकाल में ही हो रहा है । इसलिए संक्रांति का पर्व शास्त्रीय मतानुसार 14 जनवरी को ही मनाया जाएगा। सुबह राशि परिवर्तन करने से संक्रांति का पुण्यकाल सूर्योदय से सूर्यास्त तक यानी सुबह 7.27 से शाम 5.52 तक बजे रहेगा। महापुण्यकाल सुबह 9.03 से 10.52 बजे तक रहेगा। धर्म-पुण्य कार्य करना अधिक फलदायी रहेगा। मकर संक्रांति शिक्षित वर्ग के लोगों के लिए काफी अच्छी रहने वाली है। व्यापारियों और कारोबारी लोगों को वस्तुओं की लागत कम होने से कुछ लाभ होने की संभावना है। अधिकांश लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।
सूर्य तिथि वाला अनोखा पर्व व्यास ने बताया कि अधिकांश हिंदू त्योहार चंद्रमा की स्थिति के अनुसार मनाए जाते हैं, लेकिन मकर संक्रांति पर्व सूर्य के चारों ओर पृथ्वी द्वारा की जाने वाली परिक्रमा की गणना के आधार पर मनाया जाता है। जब सूर्य राशि बदलकर उत्तरायण होते हैं तब संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है।
धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। शनि मकर व कुंभ राशि के स्वामी हैं। लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन का साक्षी होता है। मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा।