भीलवाड़ा

Bhilwara news: भूखे रहे…उपेक्षा झेली…धक्के खाए, भगवान ऐसा दिन किसी को ना दिखाए…

ईश्वर की भक्ति और कृपा की महिमा सुनाते भावुक हुए धीरेंद्र शास्त्री

भीलवाड़ाNov 11, 2024 / 10:46 am

Suresh Jain

Stayed hungry…faced neglect…faced pushes, may God not show such a day to anyone…

Bhilwara news: हम पैदल चले। सब्जी तो कभी मिली ही नहीं। भूखे रहे, उपेक्षा झेली, धक्के खाए। भगवान ऐसा दिन किसी को न दिखाए। यह कहकर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की आंखें छलक आई।
शहर के तेरापंथ नगर में पांच दिवसीय हनुमंत कथा के अंतिम दिन रविवार को करीब एक लाख श्रद्धालुओं से खचाखच भरे पांडाल में अपने पारिवारिक अतीत का जिक्र करते शास्त्री का गला रूंध गया। गमछे से आंसू पोंछते शास्त्री थोड़ारूके और बोले-गरीब का कोई नहीं होता। गरीब के सिर्फ हनुमानजी महाराज हैं। अमीर कभी गरीब की मदद नहीं करता, लेकिन जब गरीब से जरूरत पड़ती है तो उसके आगे-पीछे घूमते हैं। काम निकलने के बाद गरीब की फिर वही स्थिति कर देते हैं। शास्त्री ने सीख दी कि जीवन में कोई गरीब-जरूरतमंद आए तो उसकी मदद जरूर करो। भगवान आपको ऐसा दिन ना दिखाए कि दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी। शास्त्री की आंखों में आंसू देख श्रोता भी भावुक हो गए। कई महिलाएं अपने आंसूओं का सैलाब नहीं रोक पाई।
असल में शास्त्री कथा के अंतिम दिन ईश्वर की भक्ति और कृपा की महिमा की चर्चा कर रहे थे। इसी दौरान अपने बचपन और परिवार की गरीबी का जिक्र किया। पुराने संघर्ष के दिन याद कर आंखें छलछला गई व गला भर आया। वे बोले-हम तो हनुमानजी के नाम पर खाते हैं। उनके जैसा दाता न हुआ है न होगा।
हम तो हनुमानजी के नाम का खाते हैं

उन्होंने कहा कि हम तो हनुमानजी के नाम पर खाते हैं। उनके जैसा दाता न हुआ है न होगा। हम अपने सुख-चैन के लिए दक्षिणा नहीं लेते, बेटियों के विवाह के किए दान लेते हैं। कैसे उन्हें अपनी बहन की शादी के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी, लोगों से उधार मांगना पड़ा। ‘संपत्ति नहीं थी, धन नहीं था। उधार खूब मांगा, कुछ नहीं मिला। उसी दिन हमने प्रण लिया था बालाजी के सामने कि हमारी जिंदगी में ऐसा दौर नहीं आए, गुरु ने चाहा तो हम एक दिन ऐसा लाएंगे कि हम भी गरीब बेटियों का विवाह करेंगे। अपने आश्रम में अब सामूहिक कन्यादान कराने वाले शास्त्री ने कहा बालाजी कभी समार्थ्य देना तो हम चाहते हैं कि कोई भी भाई हमारी तरह दुख ना पाए।

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