28 हजार खदानें होंगी प्रभावित खान निदेशालय ने खदान मालिक को हर वर्ष ड्रोन सर्वे कराना अनिवार्य किया है। हर वित्तीय वर्ष के शुरू में अप्रेल से जून तक खान मालिकों को ड्रोन सर्वे कराना होगा। माइंस के 100 मीटर दायरे को भी सर्वे में जोड़ना होगा। इससे अवैध खनन की विभाग को जानकारी मिल सकेगी। प्रदेश में 28 हजार तथा भीलवाड़ा में 2500 खदानें हैं। प्रदेश में अब तक केवल प्रधान खनिज की खान का ही ड्रोन सर्वे कराया जाता था। नोटिफिकेशन के बाद अप्रधान खनन पट्टेधारियों में हड़कंप मचा है।
5 हैक्टेयर तक खदान सर्वे मुक्त हों खान मालिकों का कहना है कि प्रधान खनिज के लिए जारी 5 हैक्टेयर से अधिक एवं प्रतिवर्ष 10 लाख टन और अधिक उत्पादन होने पर ही ड्रोन सर्वे का प्रावधान रखा है। ऐसे में सरकार को 5 हैक्टेयर तक के खनन पट्टों को ड्रोन सर्वे से मुक्त रखना चाहिए। जो नियम जारी किए हैं वह प्रधान खनिजों की जारी एसओपी से ही लिए हैं। क्वारी लाइसेंस 0.18 हैक्टेयर से लेकर खातेदारी भूमि में 4.9 हैक्टेयर तक के होने पर भी उन्हें ड्रोन सर्वे से मुक्त रखना व एक हैक्टेयर के अप्रधान खनन पट्टों का ड्रोन सर्वे करना विभाग के दोहरे मापदंड को दर्शाता हैं। किसी ने पास में अवैध खनन किया तो उसका जुर्माना भी खनि मालिक को भुगतान होगा।
सर्वे में करोड़ों रुपए होंगे खर्च प्रधान खनिजों के तरह करीब 25 हजार अप्रधान खनिज (माइनर मिनरल) की खानों का हर साल ड्रोन सर्वे करवाना होगा। एक खदान पर ड्रोन सर्वे पर 3 से 4 हजार रुपए खर्च होंगे। अवैध खनन पाया गया तो 10 प्रतिशत रॉयल्टी की पैनल्टी लगेगी। इसके लिए खान मालिकों के करोड़ों रुपए खर्च होंगे।
पुराने अवैध खनन का क्या होगा अवैध खनन पर अंकुश लगाने को उठाए कदम अच्छे हैं। पुराने अवैध खनन इस सर्वे में जोड़ना खान मालिकों पर आर्थिक बोझ डालना होगा। खान मलिक के प्रतिवर्ष अपने खर्चे पर खनन पट्टे का ड्रोन सर्वे अनुचित है। इससे छोटे खनन पट्टा धारकों को आर्थिक नुकसान होगा।
अनिल सोनी, अध्यक्ष माइंस ऑनर एसोसिएशन भीलवाड़ा खान मालिकों को होगा फायदा ड्रोन सर्वे से सभी माइंस का रिकॉर्ड डिजिटलाइज्ड होगा। इससे असेसमेंट आसानी से हो सकेगा। पिट का मेजरमेंट होगा। अगर कहीं गड़बड़ी है तो सामने आ जाएगी। लीज से बाहर माइनिंग का पता चलेगा। सही खनन करने वाले खान मालिकों को ड्रोन सर्वे से फायदा ही होगा।
चंदनकुमार, खनिज अभियन्ता भीलवाड़ा