महेन्द्र सेठी ने बताया कि उत्तर पुराण में आचार्य गुणभद्र (7- 8 वीं शताब्दी) ने लिखा है कि 15 अक्टूबर 527 ईस्वी में कार्तिक मास की अमावस्या पर स्वाति नक्षत्र के उदय होने पर भगवान महावीर ने सुबह के समय निर्वाण प्राप्त किया था। तभी से प्रत्येक वर्ष महावीर भगवान के निर्वाण दिवस पर पूजा की जाती है। इसका उल्लेख जैन ग्रंथ हरिवंश पुराण में भी है। जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के 256 वर्ष साढ़े तीन माह बाद महावीर का जन्म हुआ था।