यहां न जनरल टिकट मिल रहे और न ही आरक्षित टिकट बुक हो रहे। वहीं अनूपगढ़ डिपो में श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ तथा बीकानेर मार्ग के लिए 3 बुकिंग विंडो थी। वर्तमान में तीनों विंडो बंद है। इधर, कर्मचारी संगठनों में निर्णय से भारी रोष है। संगठनों का मानना है कि निगम निजीकरण की ओर बढ़ रहा है। गुजरात की तर्ज पर राजस्थान में ऐसा करना चाह रहा है। निगम के निर्णय से प्रदेश के 11 हजार रोडवेजकर्मियों में हड़कंप है।
इनका कहना है…
राजस्थान रोडवेज प्रबंधन निजीकरण की ओर अग्रसर है। पहले
उदयपुर और अब भीलवाड़ा में स्टॉफ की कमी बता डिपो की बुकिंग विंडो बंद कर दी। गुजरात की तर्ज पर राजस्थान में काम करना चाह रहे हैं। गुजरात में स्टॉफ और बसें पर्याप्त हैं। हमारे यहां न बसें और न ही स्टॉफ है। बुकिंग बंद करने से भ्रष्टाचार बढ़ेगा और यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। कर्मचारी संगठन इसका विरोध करेगा।
– सत्यनारायण शर्मा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान परिवहन निगम संयुक्त कर्मचारी फेडरेशन (भामसं) हमारे यहां स्टॉफ की कमी है इसलिए बुकिंग विंडो बंद की है। यहां के कर्मचारी रूट पर भेजे हैं। उदयपुर डिपो में भी बुकिंग खिड़कियां बंद हैं। – हेमराज मीणा, मुख्य प्रबंधक, भीलवाड़ा आगार
अनुबंध बसों के घूम रहे चक्के
मुख्यालय ने आगार के बाहर से पहले ही बुकिंग खिड़की से अपना स्टॉफ हटाकर ठेके पर दे दिया। अब डिपो के अंदर से स्टॉफ हटाने की कवायद शुरू कर दी। काउंटर से टिकट नहीं मिलने पर यात्री परेशान रहेगा। खासकर महिलाओं और बच्चों को धक्का-मुक्की झेलनी पड़ेगी। इस समय रोडवेज बेड़े में बड़ी संख्या में अनुबंध पर बसों के चक्के घूम रहे हैं।
पांच विंडो, आठ कर्मचारी, आनन-फानन में एक खोली
भीलवाड़ा डिपो में पांच बुकिंग खिड़की हैं। आठ कर्मचारी शिफ्ट में लगा रखे हैं। आगार में सभी खिड़कियों पर ताले लटका दिए। पत्रिका ने पड़ताल की तो आनन-फानन में दोपहर में एक खिड़की खोली गई। हालांकि शाम को इसे भी बंद कर दिया। दिनभर यात्री टिकट के लिए पूछताछ करते रहे। बसों में परिचालकों ने टिकट काटे। प्लेटफार्म पर बस लगते ही सीट के लिए धक्का-मुक्की हुई। एक नवंबर से उदयपुर में बुकिंग खिड़की बंद कर दी गई थी। एक दशक से भर्ती नहीं, घोषणा कागजों में
रोडवेज में वर्ष-2013 से नई भर्ती नहीं हुई है। नई सरकार ने 1600 कर्मचारियों की भर्ती निकाली, लेकिन यह भी कागजों मेें रेंग रही। धरातल पर अब तक कुछ नहीं हुआ। जबकि हर साल सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों की संख्या बढ़ रही है। डेढ़ दशक से पहले
राजस्थान में निगम के पास 5800 बसें थी और 27000 कर्मचारी। नई खरीद नहीं होने से बसों की संख्या लगातार घटी और कर्मचारी महज 11,000 रह गए।
फैक्ट फाइल
– 52 डिपो प्रदेश में
– 6 करोड़ लगभग रोजाना की आय
– 4000 हजार निगम बेड़े में बसें
– 11472 राजस्थान में रोडवेज कर्मचारी
– 2013 वर्ष के बाद रोडवेज में भर्ती नहीं