जैन ग्रंथों के अनुसार पार्श्वनाथ भगवान का जन्म ईसा से 1877 वर्ष पूर्व पोष कृष्णा एकादशी को हुआ। बाद में इसी तिथी पर भगवान दीक्षा लेकर तप में लीन हुए। निर्यापक संत सुधासागर महाराज के अनुसार पार्श्वनाथ ने भीलवाडा जिले के बिजोलियां में तप किया तथा यहीं केवल्य ज्ञान प्राप्त कर भगवान बने। मेवाड क्षेत्र की मान्यताओं के अनुसार पौष कृष्णा दशमी को पार्श्वनाथ भगवान का समोवशरणकाछोला स्थित चंवलेश्वर पार्श्वनाथ अतिशय तीर्थ क्षेत्र पर आया था। मेवाडी में इसे पौदसमी के रुप में मनाते है।
आर के कॉलोनी आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर के अध्यक्ष नरेश गोधा ने बताया कि बुधवार को पौदसमी के दिन पार्श्वनाथ भगवान का महास्तकाभिषेक एवं पूजा होगी।सभी जैन परिवार घर में मिष्ठान बनाएंगे। गुरुवार को पार्श्वनाथ भगवान की जन्म एवं तप कल्याणक की पूजा होगी। शास्त्रीनगर के पार्श्वनाथ दिगंबर मंदिर में 26 दिसम्बर को मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान का जन्म कल्याण महोत्सव भगवान के मस्तकाभिषेक एवं 108 रिद्धि मंत्रों से अभिषेक शांतिधारा कर मनाया जाएगा। सुबह 7 बजे से प्रारम्भ होने वाले कार्यक्रम में सभी श्रावक धोती दुपट्टा में स्वर्ण एवं रजत कलशों से भगवान का अभिषेक करेंगे।
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रवीण चौधरी ने बताया कि भीलवाड़ा का यह एक मात्र जिनालय है जिसमें 108 फ़ण व 7 फुट की पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान है। इसका 6 वर्ष पूर्व मुनि पुंगव सुधासागर महाराज ने पंचकल्याण करवाया था। आमलियों की बाडी स्थित चर्तुमुखी पार्श्वनाथ भगवान मंदिर में भी इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम होंगे।