कृषि अधिकारी राजेन्द्र पोरवाल के अनुसार सरसों की फसल के लिए कम तापमान लाभकारी रहता है, लेकिन यह सामान्य तापमान में भी पनप जाती है। इसमें नुकसान तभी संभव है, जब बारिश और पाला पड़े। अन्य मौसम में वृद्धि प्रभावित नहीं होती है। अगर गेहूं, जौ और चने की फसल के लिए कोहरा और सर्दी नहीं होगी तो इसकी फसल की ग्रोथ नहीं होगी जो सीधे तौर पर पैदावार प्रभावित होगी। रबी की फसल के अनुरूप तापमान नहीं होता है तो पौधों की जड़ों में भी वृद्धि रुक जाती है। इस वजह से पौधा पोषण लेना बंद कर देगा और पैदावार प्रभावित हो जाएगी।
मौसम का सिस्टम बदला पोरवाल का कहना है कि प्रदूषण और ग्लोबल वॉर्मिंग से तापमान में लगातार इजाफा हो रहा है। पांच साल में मौसम का सिस्टम बदला है और यह 15 से 20 दिन आगे शिफ्ट हो गया है। यही कारण है कि दिसबर शुरू होने के बाद भी सर्दी का रंग नहीं चढ़ा है। एक हफ्ते बाद सर्दी बढ़ेगी। इस दौरान कोहरा भी छाएगा। पहाड़ी क्षेत्रों में भी अभी बर्फबारी कम है। जैसे ही बर्फबारी होगी और हवाएं उत्तर से पश्चिम की ओर चलगी तो सर्दी तेज हो जाएगी। सर्दी कम रहने से रबी सीजन की फसलों को नुकसान हो सकता है। हालांकि किसानों को खेतों में बुवाई मौसम देखकर करनी चाहिए।
गेहूं की बुवाई कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर रबी सीजन में एक डिग्री से. तापमान बढ़ता है तो प्रति हेक्टेयर गेहूं की फसल में 2.5 क्विंटल का नुकसान हो सकता है। हालांकि दिन का तापमान 26.5 डिग्री बना हुआ है। जबकि रात का तापमान भी 10 डिग्री बना हुआ है। ऐसे में अगेती फसलों को नुकसान हो सकता है। अभी गेहूं की बुवाई बाकी है। इस पर भी मौसम का विपरीत असर पड़ेगा।