काठियाबाबा आश्रम के महंत बनवारीशरण के सानिध्य में टेकरी के हनुमानजी कथा समिति के तत्वावधान में तेरापंथनगर में कथा संपन्न हुई। उसके बाद शास्त्री हेलीकाॅप्टर से चित्तौड़ के सांवलिया सेठ मंदिर गए, जहां से दर्शन के बाद उदयपुर से मुम्बई चले गए। कथा से पहले महंत बनवारीशरण ने आभार जताया। पीठ की आरती आयोजन समिति अध्यक्ष गोपाल खण्डेलवाल, संरक्षक त्रिलोकचंद छाबड़ा, प्रकाशचन्द छाबड़ा, महावीरसिंह चौधरी, मुकेश खण्डेलवाल, राजेन्द्रसिंह भाटी, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रशान्त मेवाड़ा आदि ने की।
जहां मिली जगह, बैठ गए… कथा के अंतिम दिन एक लाख से अधिक भक्त पहुंचे तो पांडाल छोटा पड़ गया। पांडाल 10 बजे ही भर गया। इसके बाद लोग बाहर जहां जगह मिली बैठ गए। हर कोई ऐसी जगह तलाशता नजर आया, जहां से शास्त्री और मंच नजर आए। कई महिलाएं ट्रक, सोफे तथा कुर्सी पर खड़े होकर तो कुछ जेसीबी व टैंकर पर बैठकर कथा सुन रहे थे।
कथा कभी बंद नहीं होती शास्त्री ने कहा कि कथा कभी बंद नहीं होती है। भीलवाड़ा में कब पांच दिन गुजर गए, पता नहीं चला। यह सनातन के प्रति प्रेम व उत्साह है। ऐसा लग रहा है कि राजस्थान का हिंदू जाग गया है। कथा के प्रति ललक, श्रद्धा व पागलपन देखकर लग रहा है कि शायद हनुमानजी भी कथा के इतने ही दीवाने थे। वीवीआईपी दीर्घा के पास बैरिकेडिंग तोड़ कर लोग अंदर आए तो शास्त्री ने कहा कि तुम इस तरह करोगे तो कथा बंद करनी पड़ेगी।
फिर आने का आश्वासन शास्त्री ने अगले साल फिर आने का आश्वासन दिया। हालांकि जगह व दिन बताने से मना कर दिया। राजस्थान में छह कथा की लेकिन जो प्रेम, दुलार, सनातक के प्रति उत्साह भीलवाड़ा में देखा, जैसा उत्साह राजस्थान में कहीं देखने को नहीं मिला। मन तो नहीं कर रहा जाने का…सात दिन की भागवत कथा होती तो मजा आता, लेकिन प्रशासन हमें डंडा मारकर भगा देते।
हनुमानजी के आठ कार्य बताए सुंदरकांड चरित्र की कथा पूर्ण करने से पहले हनुमानजी के आठ कार्य बताए। भक्त को भगवान से जोड़ना, श्रीराम का पता बताना व मिलवाना, मान का मर्दन करना, संतों की रक्षा करना, साधना करने वाले भक्तों को सिद्धी व प्रसिद्धि देकर उनकी रक्षा करना, रामभक्तों को संकटों से बचाना, अभय वरदान देकर आत्मविश्वासी बनाना एवं हर प्रकार की बाधाओं से भक्तों को बचाना शामिल है। भीलवाड़ा में कथा श्रवण के लिए हनुमान टेकरी के महंत बनवारीशरण के प्रति आभार जताया।
बालाजी के सामने लिया था प्रण वे बोले-हम अपने सुख-चैन के लिए दक्षिणा नहीं लेते बल्कि जरूरतमंद परिवारों बेटियों के विवाह के किए दान लेते हैं। मुझे अपनी बहन की शादी के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी, लोगों से उधार मांगना पड़ा। संपत्ति नहीं थी, धन नहीं था। उधार खूब मांगा, कुछ नहीं मिला। उसी दिन हमने बालाजी के सामने प्रण लिया था कि किसी की जिंदगी में ऐसा दौर नहीं आए। गुरु ने चाहा तो हम एक दिन ऐसा लाएंगे कि हम भी गरीब बेटियों का विवाह करेंगे। अपने आश्रम में अब सामूहिक कन्यादान कराने वाले शास्त्री ने कहा बालाजी कभी समार्थ्य देना तो हम चाहते हैं कि कोई भी भाई हमारी तरह दुख ना पाए।
दुर्गा शक्ति अखाड़े को सराहा भीलवाड़ा में बेटियों को शास्त्र के साथ शस्त्र शिक्षा देने में जुटे दुर्गा शक्ति अखाड़े की सराहना की। कहा कि मां-बहनों को यह वरदान प्राप्त है कि कोई कुदृष्टि डाले तो यह पहचान लेती है। अखाड़ों को बेटियों को जूडो, कराटे व तलवारबाजी भी सिखानी होगी।
501 मीटर लम्बा केसरिया साफा पहनाया -कथा के शुरू में शास्त्री को 501 मीटर लम्बा केसरिया साफा पहनाया गया। कई लोग शास्त्री के स्केच लाए थे। – कथा स्थल पर रखे कलश लोग अपने साथ ले गए। कोई दो तो कोई तीन कलश तक ले गया।
– मन्नत के लिए कथास्थल की रैलिंग पर बांधे नारियल लोग वही छोड़ गए। महंत का कहना था कि इन नारियल को घर के पूजा स्थल पर रखना था।