जिले में रहने वाले बिहार, यूपी एवं झारखंड मूल के लोगों ने डाला छठ मनाया। मानसरोवर झील, वाटर वर्क्स टैंक में व्रतियों की भीड़ उमड़ी। जलाशय किनारे छठ मैया के गीत और जयकारे गूंजे। डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। बच्चों ने आतिशबाजी की। महिलाओं ने जल में खड़े रहकर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया।
इससे पहले दिन में प्रसाद के रूप में ठेकुआ चावल के लड्डू बनाए। केला, सेव, अनार, पानी वाला नारियल, नींबू, ईंख एवं सीताफल के साथ ही शकरकंद, सुथनी, पत्ते लगे हल्दी, मूली सरकंद इत्यादि को बांस की बनी डाला में सजा कर शाम को व्रती के साथ परिवार तथा पड़ोसियों के साथ तालाब पहुंचे। घाट पर सूर्य को अर्घ्य दिए। 48 घंटे निराहार रहकर लोगों ने अपने क्षेत्र में भी अस्थाई घाट बनाकर पूजा की। शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ चार दिवसीय छठ संपन्न होगी। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतधारी महिलाएं पारणा करेंगी।
घाटों पर मेले गुरुवार दोपहर से श्रद्धालु मानसरोवर झील, वाटर वर्क्स टैंक तथा महादेवी पार्क बापूनगर में श्रद्धालु आदि घाटों पर जुटने लगे। शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। वाटर वर्क्स के कुण्ड पर मेले सा नजारा दिखा। डूबते सूर्य को प्रसादी अर्पित की। जल और दूध का अर्घ्य दिया। तालाबों के घाटों पर भीड़ उमड़ पड़ी। धाट पर महिलाएं छठी मईया आओ, अर्घ ले लो, सूरज देव जी हे, आशीष दीजिए, कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए आदि गीत गा रही थी।