ऐसे हुआ खुलासा न्यास के कम्प्यूटर सहायक ओमप्रकाश तिवाड़ी के सेवानिवृत होने से पहले उसकी शिकायत पर उसकी फाइल खंगाली। फाइल में इस पद पर नियुक्ति का स्थायीकरण आदेश नहीं मिला। जांच में पाया कि सरकार ने 8 अगस्त 1996 को कुछ कर्मचारियों को 6 माह अस्थायी लगाया था। न्यास ने 47 अस्थायी पदों को स्थायी करने के लिए 10 जनवरी 1997 को नगरीय विकास विभाग के शासन सचिव को पत्र लिखा। इसमें 47 कार्मिकों के साथ तिवाड़ी का नाम भेजा था। उसका आज तक जवाब सरकार ने नहीं दिया। तिवाड़ी के सेवानिवृत होने से पहले 16 मई 2024 को पत्र लिखा था। लेकिन इसका भी कोई जवाब नहीं मिला है। ऐसे में 47 कर्मचारी स्थायी नहीं हो सके।
होती रही वेतनवृद्धि व पदोन्नति अस्थायी कर्मचारी होने के बाद भी वेतनवृद्धि व पदोन्नति होती रही। ऐसा करते समय कर्मचारी की फाइल देखी जाती है, लेकिन न्यास अधिकारियों ने फाइल देखे बिना ही वेतनवृद्धि व पदोन्नति दे दी। जो कर्मचारी स्थायी नहीं थे, उन्हें सेवानिवृति के सभी लाभ दिए गए। अस्थायी कर्मचारियों ने स्थायी को मिलने वाले सभी लाभ लिए जबकि सरकार से इसके लिए वित्तिय व प्रशासनिक स्वीकृति लेनी होती है।
निलम्बित कर्मचारी को किया बहाल स्थापना शाखा के एक कर्मचारी को रिश्वत मामले में निलम्बित किया था। तत्कालीन सचिव ने बिना सरकार की स्वीकृति के उसे पुन: बहाल कर उसी पद पर लगा दिया। हालांकि अभी व अन्य शाखा में कार्यरत है।
109 पद स्वीकृत न्यास में कुल 109 पद हैं। इनमें सचिव, विशेषाधिकारी, लेखाधिकारी के एक-एक पद और सहायक लेखाधिकारी के दो पद हैं। कनिष्ठ सहायक लिपिक के 11, मुंशी के 4 पद हैं। न्यास में अभी 63 कर्मचारियों के पद भरे हैं तथा 46 रिक्त हैं। हर माह वेतन भुगतान के लिए लेखाधिकारी के साथ ही सचिव के हस्ताक्षर होते हैं। सभी कर्मचारियों को आरजीएचएस का लाभ भी मिल रहा है।