भीलवाड़ा

Bhilwara Irrigation Department जीवन रेखा मेजा बांध की बिगडी गत

Bhilwara Irrigation Department वस्त्रनगरी की जीवन रेखा कहलाने वाले मेजा बांध साढ़े छह दशक पुराना भले ही हो गया लेकिन बांध पर अनदेखी का रोग लगा हुआ है। हर बार यहां राजनीतिक व प्रशासनिक अधिकारी दौरा कर मरम्मत की बात कहते है, मगर दौरे के साथ ही सब कागजी फाइलों में दफन हो जाता है।

भीलवाड़ाApr 16, 2022 / 10:38 am

Akash Mathur

Deterioration of life line Meja Dam

विनोद बिडला
Bhilwara Irrigation Departmentवस्त्रनगरी की जीवन रेखा कहलाने वाले मेजा बांध साढ़े छह दशक पुराना भले ही हो गया लेकिन बांध पर अनदेखी का रोग लगा हुआ है। हर बार यहां राजनीतिक व प्रशासनिक अधिकारी दौरा कर मरम्मत की बात कहते है, मगर दौरे के साथ ही सब कागजी फाइलों में दफन हो जाता है। जिले के एकमात्र पर्यटक स्थल के हाल ये है कि यहां पर पर्यटकों के लिए मूलभूत सुविधाओं का ही अभाव है। बांध भले ही दशकों पुराना है मगर मरम्मत छह बार भी नहीं हुई। हर साल मरम्मत का ढोल जरूर पीटा जाता है। जल संसाधन विभाग जिले के सबसे बड़े बांध की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। यहीं वजह है कि बेख्याली ने मेजा की सूरत बिगाड़ रखी है। यहां न पर्याप्त चौकीदार है और न वायरलैस सेट चालू। फोन तक खराब पड़ा है।Bhilwara Irrigation Department
वर्ष- 2016 में बांध लबालब होने पर पाल से जगह-जगह पानी रिस रहा था। लगातार आवक घटने से अधिकारियों ने ध्यान देना छोड़ दिया। सालाना फाटक पर ऑयल-ग्रीस से ज्यादा कुछ नहीं हो रहा। बांध परिसर में पार्क दुर्दशा का शिकार हो रहा है। बच्चों के झूले गायब है, पाल से सुरक्षा के एंगल गायब हो गए। विभाग ने पाल पर दीवार चुनवाकर लोगों को इससे दूर कर दिया। उधर, बांध की सुरक्षा में सालों
पूर्व 40 चौकीदार थे, जो अब चार रह गए।

छह दशक पहले 97.34 लाख में बनाजिले का सबसे बड़ा मेजा बांध की नींव 1953 में रखी जो 1957 में 97.34 लाख रुपए में बनकर तैयार हुआ। तीस फीट भराव क्षमता वाले बांध में तीन दशक पूर्व तक 42 हजार एकड़ में सिंचाई होती थी। अब यह तीन हजार एकड़ में सिमट कर रह गई। बांध का पानी सिंचाई व पेयजल दोनों में काम आता है।
पीने के लिए चौदह फीट रिजर्व

लम्बे समय से भीलवाड़ा की प्यास बुझाने में मेजा बांध का प्रमुख योगदान रहा। चौदह फीट पानी पेयजल के लिए सुरक्षित रखा जाता है। उसके बाद सिंचाई को दिया जाता है। मेजा बांध की दोनो नहरे 40 किलोमीटर की दूरी पर फैली है । मगर इनकी हालत खस्ता है। नहरें जगह-जगह टूटी हुई है। तो काटों के झाड़ उगे हुए है ।
सवा सौ एनीकट रोड़ा

मेजा बांध की राह में सवा सौ एनीकट रोड़ा बने है। कोठारी नदी पर बने बांध में लगातार घटती पानी की आवक का यह प्रमुख कारण है। लडक़ी बांध से मेजा तक एनीकटों निर्माण से मानसूकाल में पर्याप्त पानी नहीं आता।
पेटा काश्त बना मुसीबत

बांध परिसर में पेटा काश्त के कारण चोरी हो रहा पानी जलदाय विभाग के लिए मुसीबत बना है। लोग बांध परिसर में बेधड़क मोटर लगाकर पानी चुराते हैं। इसके लिए जलदाय विभाग ने आवाज भी उठाई लेकिन ध्यान नहीं दिया गया।
इनका कहना है

मेजा बांध को वर्ल्ड बैंक के प्रोजेक्ट ड्रीप में लिया हुआ है । वहा से स्वीकृति मिलने के बाद ही व्यवस्थाओ में सुधार होगा। मेजा बांध को मरम्मत जो बजट मिलता है, वह भी काफी कम है।- अर्पित अग्रवाल, सहायक अभियंता, जल संसाधन विभाग
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मेजा पर एक नजर

1957 बांध का निर्माण

97.34 लाख रुपए आई लागत

3 हजार हैक्टेयर में सिंचाई

30 फीट बांध की क्षमता

125 एनीकट कैचमेन्ट में एरिए में

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