भीलवाड़ा

पारं परिक गीतों पर पुष्पवर्षा के बीच घूमर के साथ गेर की खनक और भांगड़ा की गूंज

लोक कलाओं से जब शहर रूबरू हुआ तो एक नया इतिहास बन गया

Dec 24, 2017 / 11:34 pm

tej narayan

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स्कूली बच्चों से लेकर खिलाड़ी, सामाजिक संगठन, उद्योगपति, जनप्रतिनिधि व आमजन की सक्रिय भागीदारी से अनूठी शोभायात्रा बन गई। जिला कलक्टर मुक्तानंद अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक प्रदीप मोहन शर्मा सहित सभी प्रशासनिक अधिकारी, मुख्य सचेतक कालूलाल गुर्जर, न्यास अध्यक्ष गोपाल खंडेलवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष दामोदर अग्रवाल, नगर परिषद सभापति ललिता समदानी आदि भी शोभायात्रा के साथ रहे।

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गैर नृत्य की खनक और पंजाबी भांगड़ा की गूंज। राजस्थानी गीतों पर थिरकती महिलाएं और देश के कई राज्यों की संस्कृति का अनूठा प्रदर्शन। इन सब लोक कलाओं से जब शहर रूबरू हुआ तो एक नया इतिहास बन गया। मौका था जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित भीलवाड़ा महोत्सव के तहत शोभायात्रा का।

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करीब डेढ़ से दो किलोमीटर शोभायात्रा का नजारा यह था कि स्टेशन चौराहे से सूचना केंद्र तक कलाकार ही नजर आए। शहर में जगह-जगह लोगों ने कलाकारों पर फूल बरसाएं और स्वागत किया। भीलवाड़ा महोत्सव का आयोजन दो साल से बंद था। इसे वापस शुरू किया गया है।

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कच्छी घोडी, कालबेलिया, भपंगवादक, अलगोझा वादक, बहरुपिया कलाकार, मंसोरी ढोल आदि देख लोगों को परंपरागत कला की याद गई। लोग शोभायात्रा में नृत्य कर रहे थे। माण्डल के गैर नृतक व बागोर के नट व रिंग कलाकार ने भी अच्छा प्रदर्शन किया।

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कच्छी घोडी, कालबेलिया, भपंगवादक, अलगोझा वादक, बहरुपिया कलाकार, मंसोरी ढोल आदि देख लोगों को परंपरागत कला की याद गई।

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लोग शोभायात्रा में नृत्य कर रहे थे। माण्डल के गैर नृतक व बागोर के नट व रिंग कलाकार ने भी अच्छा प्रदर्शन किया।

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शोभायात्रा में स्कूली छात्रा-छात्राएं तथा पारम्परिक वेशभूषा में घूमर नृत्य की प्रस्तुति देते हुए कलाकार चल रहे थे। शोभायात्रा को 50 सैगमेन्ट में बांटा गया था, इसका सड़क के दोनो और तथा मकानों की छतों पर खड़े लोगों ने स्वागत किया।

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