आज फूहड़ संगीत के भी खरीदार है, तभी वह बिकता है। लोग खरीदेंगे ही नहीं तो बनेगा नहीं। पहले लोग फिल्मों में गाने देखने के लिए जाया करते थे। जिस फिल्म में गाने अच्छे होते थे वह फिल्म हिट हो जाती थी। अब ऐसा माहौल नहीं रहा। यह कहना है मशहूर सिंगर अनुराधा पौड़वाल का।
READ: शाह फुरकान फकीर समाज के विवाह सम्मेलन में 30 जोड़े बने हमसफ़र वे सोमवार को यहां भीलवाड़ा महोत्सव में प्रस्तुति देने आई थी। अनुराधा का भीलवाड़ा का ये दूसरी बार का दौरा था। इससे पहले 2002 में रायपुर में एक कार्यक्रम में आई थी। इधर, एक होटल में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने एक गायक का नाम लिए बगैर कहा कि उस गायक ने एक ही गाना गया। मेरी समझ में आज तक नहीं आया कि वह गाना है या बोलना। लोग करोड़ों रुपए खर्च कर उसे बुलाते हैं। यह पागलपन नहीं तो और क्या है।
READ: कोई यूके से तो कोई ढाका से आया दोस्तों से मिलने, ताजा हुई पुरानी यादें संगीत व गानों में तब्दीली के सवाल पर उन्होंने कहा- 99.99 प्रतिशत लोगों की रूचि फिल्मों और गानें में है, जिसका अहसास होता है। समय के साथ तब्दीली तो सभी चीजों में आई है। चाहे खाना हो या कपड़ा।
संगीत वही जो मन को सुकून दे पौड़वाल ने न सिर्फ फिल्मों में गाने गाये, बल्कि भजन गायिकी में भी उनका बहुत नाम है। अनुराधा ने बातचीत में कहा कि गाना वही अच्छा, जो मन को सुकून दे। शास्त्रीय संगीत की पैरवी करते हुए उन्होंने कहा कि सुरों और रागों पर संगीत आधारित होता है वह मन को सुकून देता है।
हीरो हिरोइन गानों में दे रहे है अपनी आवाज
उन्होंने कहा कि अब पाश्र्वगायक के साथ हीरो हिरोइन भी गानों में अपनी आवाज देने लगे हैं। इसके परिणाम गंभीर होते जा रहे है। इससे गाने कम हो रहे हैं। आज के दौर में ऐसा मानते हैं कि अगर किसी का कोई गाना हिट है तो फिर वैसे ही गाना होगा।
उन्होंने कहा कि अब पाश्र्वगायक के साथ हीरो हिरोइन भी गानों में अपनी आवाज देने लगे हैं। इसके परिणाम गंभीर होते जा रहे है। इससे गाने कम हो रहे हैं। आज के दौर में ऐसा मानते हैं कि अगर किसी का कोई गाना हिट है तो फिर वैसे ही गाना होगा।