मृत गाय हो या अन्य मवेशी उसे दफनाना अनिवार्य है। इसके लिए ग्राम पंचायत को जिम्मेदारी दी गई है। जेसीबी किराए को लेकर ग्राम पंचायत एसएफसी फंड का उपयोग कर सकते हैं। इसमें लापरवाही सामने आती है तो विकास अधिकारी के साथ संबंधित ग्राम पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
अनदेखी की तो गिरेगी गाज
वित्त विभाग ने 13 सितंबर को प्रदेश के सभी कलक्टर के नाम आदेश जारी किया। इसमें स्पष्ट कर दिया कि गाय हो या अन्य मवेशी उनकी मौत किसी कारण से हुई हो उन्हें दफनाना अति आवश्यक है। जिस किसी कस्बे या गांव में अनदेखी सामने आती है तो संबंधित पंचायत समिति के विकास अधिकारी और संबंधित ग्राम पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
बजट का दे रहे थे तर्क
प्रदेश में जब लंपी ने पैर पसारे थे तब राज्य सरकार ये इस जिम्मेदारी का फरमान जारी किया भी था, लेकिन बुलडोजर व जेसीबी का किराया चुकाने को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं थी। इससे दफनाने में किसी ने रुचि नहीं दिखाई। ऐसे में गांवों से लेकर हाइवे तक मृत और अन्य मवेशी कई दिनों तक पड़े रहते थे। हालांकि कुछ गांवों में समाजसेवी संगठनों में अपने स्तर पर खर्चा वहन कर ये बीड़ा उठाया भी था।
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भाविप महाराणा प्रताप शाखा एवं आरएसएस के कार्यकर्ता के साथ गांधीनगर गणेश मंदिर महंत मोहन शास्त्री के सानिध्य में गायों को आयुर्वेदिक लड्डू बनाकर खिलाए गए। इस मौके पर कार्यक्रम प्रभारी राधेश्याम सोमानी, महेश जाजू, पंकज अग्रवाल, प्रदीप अग्रवाल, पवन राठी उपस्थित थे।