भीलवाड़ा

260 साल बाद तेरापंथ जैन धर्म संघ के आचार्य का होगा भीलवाड़ा में चातुर्मास

भीलवाड़ा जिले में करेंगे मंगल प्रवेशगंगरार से होगा विहार

भीलवाड़ाJul 14, 2021 / 10:22 pm

Suresh Jain

260 साल बाद तेरापंथ जैन धर्म संघ के आचार्य का होगा भीलवाड़ा में चातुर्मास

भीलवाड़ा.
तेरापंथ जैन धर्मसंघ के 260 साल के इतिहास में भीलवाड़ा में पहली बार कोई आचार्य चातुर्मास करेंगे। धर्मसंघ के ११वें आचार्य महाश्रमण गुरूवार सुबह चित्तौड़गढ़ जिले के गंगरार से विहार कर भीलवाड़ा जिले की सीमा में प्रवेश करेंगे। वे गुरूवार को हमीरगढ़ में रूकेंगे।
इससे पूर्व बुधवार को वे पुठोली से विहार कर गंगरार पहुंचे। करीब १३ किलोमीटर की उनकी पदयात्रा के दौरान जगह-जगह श्रावकों ने दण्डवत और नतमस्तक होकर उनका अभिनंदन किया। इस दौरान आजोलिया का खेड़ा औद्योगिक क्षेत्र में कई श्रमिकों ने उनके समक्ष नशा नहीं करने का संकल्प लिया और बीड़ी सिंगरेट के पैकेट उनके चरणों में रख दिए। इस दौरान उनके साथ चल रहे धवल सेना के एक संत ने सभी को नशा नहीं करने कीशपथ भी दिलाई। इस दौरान आजोलिया का खेड़ा मार्बल संस्थान के अध्यक्ष अरविन्द ढिलीवाल, कांग्रेस के महामंत्री प्रमोद सिसोदिया मौजूद रहे। हिन्दुस्तान जिंक के बाहर चंदेरिया लेड जिंक स्मेल्टर मजदूर संघ इंटक एवं जिला मेटल माइंस मजदूर संघ इंटक की ओर से उनका स्वागत किया। आचार्य के गंगरार पहुंचने पर बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने उनका स्वागत किया। इस दौरान विश्राम कुटीर के पास अखिल भारतवर्षीय श्री गुर्जर गौड़ ब्राह्मण महासभा की ओर से महासभा के प्रांतीय मुख्य संरक्षक ओम प्रकाश उपाध्याय के नेतृत्व में पदाधिकारियों ने उनका अभिनन्दन किया। आचार्य गंगरार के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में प्रवास के लिए पहुंचे।
सुख का स्रोत स्वयं के हाथों में
गंगरार विद्यालय में वर्चुअल प्रवचन में आचार्य महाश्रमण ने कहा कि इस संसार में सभी प्राणी दुख से डरते हैं। दुख को कोई भी नहीं चाहता, हर व्यक्ति दुख से भय खाता है। पर यह दुख उत्पन्न क्यों होता है, इस पर ध्यान देना चाहिए। व्यक्ति अपने स्वयं के प्रमाद के कारण दुखों को उत्पन्न करता है और स्वयं अपने दु:ख का कारण बनता है। अप्रमाद के द्वारा व्यक्ति दुख के भय से बच सकता है। हम स्वयं का निग्रह करें। स्वयं पर नियंत्रण करेंगे तो दुख अपने आप कम हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सुख का स्रोत हमारे खुद के हाथों में है। जब हम स्वयं शांत रहें, सहिष्णु रहे तो दूसरे क्या कर सकते हैं। इस अवसर पर बहिर्विहार से समागत साध्वी वृंद ने भी अपनी भावाभिव्यक्ति दी। साध्वी कमलप्रभा, साध्वी श्री उर्मिलाकुमारी, साध्वी शुभप्रभा, साध्वी सम्पूर्णयशा, साध्वी विवेकश्री ने अपने विचार रखे।

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