भीलवाड़ा

चातुर्मास के लिए आचार्य महाश्रमण का ऐतिहासिक मंगल प्रवेश

पंजाब के राज्यपाल सिंह समेत अन्य लोग बने साक्षी15 मिनट में पहुंचे चातुर्मास स्थल, समाज के लोगों ने की अगवानी

भीलवाड़ाJul 18, 2021 / 08:07 pm

Suresh Jain

चातुर्मास के लिए आचार्य महाश्रमण का ऐतिहासिक मंगल प्रवेश

भीलवाड़ा।
तेरापंथ धर्म संघ के 11वें आचार्य महाश्रमण अपनी धवल सेना के साथ रविवार को आदित्य नगर के आचार्य महाश्रमण सभागार में सुबह ९.२१ बजे मंगल प्रवेश किया। तो पूरा आदित्य नगर जयकारों से गूंज उठा। हर कोई आचार्य की एक झलक पाने को आतुर था। आचार्य महाश्रमण ससंघ सुबह ९.०६ बजे तेरापंथ नगर से विहार करके मात्र १५ मिनट में २०० मीटर का फासला तय करते हुए चातुर्मास स्थल पर पहुंचे। मंगल प्रवेश के दौरान पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर सहित भारत के अलग-अलग स्थान से आए जैन समाज के लोग और भीलवाड़ा जिले के राजनेता इसके साक्षी बने। शांतिदूत आचार्य महाश्रमण के मंगल प्रवेश पर चारों तरफ श्रद्धा व भक्ति का अनूठा दृश्य दिखाई दे रहा था। वस्त्रनगरी भीलवाड़ा में आचार्य का यह चातुर्मास प्रवेश अनेक दृष्टियों से ऐतिहासिक रहा। भीलवाड़ा में तेरापंथ के आचार्यों का यह पहला चातुर्मास है। आचार्य के साथ प्रथम बार 200 से अधिक साधु-साध्वियां चातुर्मास में है। देश. विदेश की हजारों किलोमीटर पदयात्रा संपन्न कर मेवाड़ पधारे आचार्य के स्वागत में सभी में उत्साह-उमंग की नई लहर छाई हुई है। दो युवा शंख से अभिनन्दन कर रहे थे।
आचार्य की अगवानी के लिए जैन व अजैन लोग वहा पहुंचे थे। सड़क के एक तरफ बालिकाए अपने हाथों में लाल ध्वज लहराते हुए उनका स्वागत किया। वही युवा मोर पंख लगाए हुए टेबुल पर खड़े होकर नाच रहे थे। मुख्य द्वार के बाहर दोनो और चार नगाड़े लगाए गए थे। जिसे युवा जोश के साथ बजा रहे थे। इस दौरान जय-जय ज्योतिचरण, जय-जय महाश्रमणÓ, ‘महाश्रमण जी ने घणी-घणी खम्माÓ, ‘तेरापंथ सरताज ने घणी-घणी खम्माÓ, ‘नेमा जी रा लाल ने घणी-घणी खम्माÓ, आदि उद्घोष से सारा वातावरण भक्तिमय हो गया। पंजाब से आए बैण्ड वादकों ने शानदार बैंड वादन किया। तथा लोगों को अपने करतब दिखाए। बालिकाए उनके स्वागत के लिए मुख्य द्वार के पास खड़ी, लेकिन वे स्वागत गीत नहीं गा सकी। इसके अलावा समाज की महिलाए केसरिया परिधान में तो पुरुष सफेद परिधान पहनकर आए थे।
कोरोना गाइड लाइन को ध्यान में रखते हुए मंगल प्रवेश का जुलूस का आयोजन नहीं रखा गया था। साधु-साध्वियों की धवल पंक्ति के मध्य आचार्य प्रवर को मंगल प्रवेश करता देख सभी श्रद्धानत थे। भीलवाड़ा वासियों का वर्षों पूर्व देखा गया स्वप्न आज साकार हो गया, ऐसा लग रहा था मानो भीलवाड़ा शहर महाश्रमणमय बन गया हो।
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इन्होंने भी किया सम्बोधित
शांतिदूत के स्वागत में पंजाब के राज्यपाल सिंह विशेष रूप से उपस्थित थे। इस अवसर पर सांसद सुभाष बहेडिय़ा, मांडल विधायक रामलाल जाट, विधायक वि_ल शंकर अवस्थी, नगर परिषद सभापति राकेश पाठक, आचार्य महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति अध्यक्ष प्रकाश सुतरिया, स्वागताध्यक्ष महेंद्र ओस्तवाल, वरिष्ठ श्रावक नवरतन झाबक ने विचार व्यक्त किए। संचालन मुनि दिनेश कुमार व व्यवस्था समिति के महामंत्री निर्मल गोखरू ने किया। कार्यक्रम में राइफल संघ के जिलाध्यक्ष अभिजीत सिंह बदनोर, भाजपा जिलाध्यक्ष लादूलाल तेली, कांग्रेस नेता विवेक धाकड़, ओमप्रकाश नराणीवाल, एडवोकेट उम्मेद सिंह राठौड़, मंजू पोखरणा आदि ने भी आचार्य का अभिनंदन किया। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल सिंह व सांसद बहेडिया, जाट अवस्थी का चातुर्मास समिति की ओर से स्वागत किया गया।
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पुलिस के पुख्ता प्रबन्ध
आचार्य महाश्रमण के मंगल प्रवेश की एक झलक देखने के लिए पूरा शहर उमड़ पड़ा था। लेकिन पुलिस के कड़े प्रबन्ध के चलते लोगों को ओवरब्रिज के पास ही रोक दिया गया था। वही जो लोग तेरापंथ नगर में थे उन्हें आचार्य के मंगल विहार से पहले ही उन्हें जैन मुनि ने बाहर निकाल दिया था। मंगल प्रवेश के दौरान एडीएम (प्रशासन) राकेश कुमार, उपखण्ड अधिकारी ओमप्रभा, उपपंजीयक अजितसिंह, तहसीलदार, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गजेन्द्रसिंह जोधा, पुलिस उप अधीक्षक राहुल जोशी, शहर कोतवाल दुर्गा प्रसाद दाधीच समेत अन्य अधिकारी व्यवस्था बनाए रखने में लगे हुए थे।
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आरटीपीसीआर जांच
मंगल प्रवेश में आने वाले लोगों की चिकित्सा विभाग की ओर से कोरोना जांच की व्यवस्था की गई थी। वही उसके पास ही एक अन्य कक्ष में चिकित्सा टीम लोगों के उपाचर के लिए लगाई गई थी।
– आवास व्यवस्था के लिए भी लोग जानकारी लेते रहे। गर्मी व उमस तथा कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए सभागार में मात्र सौ जनों से अधिक लोग नहीं थी। लोग सभागार के चारों तरफ बाहर खड़े होकर प्रवचन सुन रहे थे। बाहर एलईडी लगाई गई थी। जिस पर सीधा प्रसारण किया जा रहा था। आचार्य महाश्रमण ने कई मुनियों व साध्वियों का परिचय करवाते हुए कहा कि कई मुनि व साध्वी से वे वर्षा बाद मिल रहे है।

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