– सिविल सर्विसेज में राजस्थान के इतने अभ्यर्थियों का चयन हुआ। फस्र्ट और सैकंड रैंकर भी राजस्थान से हैं। मुझे बहुत खुशी हुई। सिविल सर्विसेज में पहले यूपी-बिहार का दबदबा था। अब ट्रेंड बदला है। राजस्थान में भी प्रतिस्पर्धा की भावना जगी है।
– मेरा मानना है खास मेहनत करने या तनाव लेने से सफलता नहीं मिलती है। स्मार्ट पढ़ाई करने से सफलता हासिल की जा सकती है। 2015 में सिविल सर्विसेज की परीक्षा दी थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। 2016 में फिर परीक्षा दी और 250वीं रैंक मिली। आइपीएस बन गया। मन नहीं माना तो 2017 में फिर परीक्षा दी। इसमें दसवीं रैंक मिली। अब राजस्थान कैडर भी मिल गया।
– आइआइटी से पढ़ाई के बाद विदेश चला गया। बतौर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर नौकरी लगी। करीब ५० लाख रुपए का पैकेज था। विदेश में रहते लगा कि मुझे भारत में होना चाहिए और अपने लोगों के लिए कुछ करना चाहिए।
धैर्य बहुत जरूरी स्टूडेंट्स में धैर्य की कमी होने लगी है। वे चाहते हैं तुरंत सफलता मिले। अभिभावकों का दबाव भी बहुत है। आए दिन कोटा सहित अन्य जगह परीक्षाओं में विफल रहने पर विद्यार्थी आत्महत्या कर लेते हैं। एेसे में मन बहुत दुखी होता है। अभिभावकों से कहना चाहता हूं कि बिल्कुल दबाव नहीं डालें। फ्रीडम भी दीजिए और कंट्रोल भी रखिए। बच्चों से यही कहना चाहता हूं कि परीक्षाएं जीवन का अंत नहीं हैं। जीवन बहुत बड़ा है। मैंने जेईई भी दिया है और आइएएस एग्जाम भी पास किया। कई दोस्त एेसे हैं, जिन्होंने मेरे साथ जेईई दिया था लेकिन सफल नहीं हुए। आज वे एेसी जगह हैं, जहां सफलता है और मुझसे ज्यादा खुश है। कोई एक परीक्षा आपके जीवन का निर्णय नहीं कर सकती। टेस्ट में या कभी कम नम्बर आने पर सुसाइड का विचार मन में नहीं लाएं।
किसी भी क्षेत्र में बना सकते हैं कॅरियर एेसा फ्रेंड सर्किल बनाएं, जो सकारात्मक हो। आप एक अच्छे डॉक्टर, वकील, कवि, पत्रकार, फोटोग्राफर, इंजीनियर, सेफ बन सकते हैं। सिविल सर्विसेज में जाना चाहते हैं तो समाज की समझ होनी चाहिए। हमेशा अखबार पढि़ए। उसमें भी संपादकीय पेज पढऩे की आदत डालिए। इसमें किन मुद्दों पर क्या लिखा गया है या क्या बात हो रही है। इस पर खुद पढ़कर मंथन करिए।
(जैसा आइएएस अभिषेक ने पत्रिका संवाददाता को बताया)