180 किलोमीटर प्रति घंटे के दावे से आधी स्पीड से दौड़ रही वन्दे भारत, आखिर क्या है सुस्त रफ्तार की वजह?
प्रकरण के अनुसार 26 अप्रेल 2011 को बीगोद निवासी मोहम्मद युनूस लुहार ने एसीबी में शिकायत दी थी कि उसकी पत्नी को 22 अप्रेल 2011 को मांडलगढ़ अस्पताल में भर्ती कराया। परिवादी की पत्नी को बेटा हुआ। 25 अप्रेल को डिलेवरी करवाने वाले चिकित्सक कोठारी से परिवादी ने सम्पर्क किया।
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चिकित्सक ने जननी सुरक्षा योजना में 1400 रुपए का चेक और डिस्चार्ज टिकट देने के बदले पांच सौ रुपए मांगे। रिश्वत नहीं देने तक प्रसूता को डिस्चार्ज तक नहीं किया। सत्यापन कराने पर चार सौ रुपए में सौदा तय हुआ। एसीबी ने जाल बिछाकर चार सौ रुपए की रिश्वत लेते डॉ. कोठारी को गिरफ्तार किया। उसके खिलाफ अदालत में चालान पेश किया गया। विशिष्ट लोक अभियोजक कृष्णकांत शर्मा ने अभियुक्त के खिलाफ गवाह और दस्तावेज पेश कर आरोप सिद्ध किया।